दिल्ली : लंबित मामलों के लिए अदालती शुल्क और जुर्माने के लिए जल्द ही निचली न्यायपालिका नई व्यवस्था लागू करने जा रही है जिसमें ऑनलाइन पेमेंट की जा सकेगा. यह कदम अदालतों में लगने वाली आम लोगों और वकीलों की भीड़ को कम करने में मददगार साबित होगा.
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की ई-कोर्ट कमेटी ने अपने मामलों की सूचना प्रणाली में जरूरी बदलाव किए है. इसके साथ ही उच्च न्यायलय को अदालत की फीस में संशोधन करने के लिए राज्य सरकार से ऑनलाइन भुगतान करने की अनुमति देने के लिए कहा है.यह प्रोजेक्ट कमेटी के डिजिटलीकरण प्रोग्राम का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य मामलों का जल्द निपटारा करने और अदालतों में लगने वाली भीड़-भाड़ को कम करना है.
शीर्ष अदालत के न्यायमूर्ति एमबी लोकुर की अध्यक्षता वाली समिति ने हाल ही में एक ई-मेल अर्लट सिस्टम लॉन्च किया. इससे मुकदमेबाज को आने वाले मामलों के बारे में पता चलता है. मामले की स्थिति और अदालत का अंतिम आदेश उन्हें भेजे गए मैसेज का हिस्सा है, जो मुकदमेबाज को पिछले सुनवाई के बारे में याद दिलाने में मदद करते हैं.
न्यायालय की फीस ट्रेजरी पेमेंट के रूप में भी दी जाती है. यह न्यायालय में संपत्ति के विवाद, मोटर दुर्घटना के दावों और मध्यस्थता के लिए दायर याचिकाओं जैसे मामलों के लिए न्यायालय में जमा होती है.बता दें कि अदालत की फीस की गणना अलग-अलग राज्यों में भिन्न होती है. यहां तक कि उच्च न्यायालयों ने शुल्क की गणना के लिए अपनी पद्धति तैयार की है.
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