नेशनल रजिस्टर आॅफ सिटीजन्स यानी एनआरसी को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है। असम में जारी एनआरसी लिस्ट में 40 लाख लोगों के शामिल न होने के मसले पर सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आपत्ति दर्ज करा रही हैं। एनआरसी के अन्य राज्यों में लागू होने की खबर ने ममता को और उग्र कर दिया और उन्होंने सरकार को चेतावनी दे डाली कि अगर पश्चिम बंगाल में एनआरसी लागू की गई, तो गृहयुद्ध और खूनखराबे के लिए सरकार तैयार रहे।
ममता बनर्जी ने यह तीखे तेवर असम में 40 लाख लोगों के पक्ष में नहीं बल्कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर अख्तियार किए हैं। दरअसल, 2019 को लेकर सभी पार्टियों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। आगामी लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा और कांग्रेस अपना—अपना मोर्चा तैयार कर रही हैं, तो दिल्ली की सत्ता पाने का ख्वाब रखने वाला एक और मोर्चा भी तैयार हो रहा है। इस तीसरे मार्चे में ऐसे नेता हैं, जो अपने आपको पीएम पद के योग्य मानते हैं और इनमें सबसे आगे चल रही हैं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी।
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वह किसी भी हालत में इस तीसरे मोर्चे की मुखिया बनना चाहती हैं। ममता नहीं चाहतीं कि चुनाव से पहले एक भी मुद्दा उनसे छूटे। इसीलिए वह इन दिनों दिल्ली के दौरे पर हैं और उन्होंने इस दौरान अल्पसंख्यकों को लुभाने के लिए ईसाई समाज के कार्यक्रम में जहां भाग लिया, वहीं सोनिया—राहुल के अलावा भाजपा के नाराज नेताओं से भी बात कर उन्हें साधने की कोशिश की। उन्होंने भाजपा के यशवंत सिन्हा, शत्रुघ्न सिन्हा से बात की, तो भाजपा के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी से भी मिलीं। दरअसल, ममता चाहती हैं कि आगामी 19 जनवरी को कोलकाता में होने वाली रैली में वह सभी नेताओं को मंच पर एक साथ लाएं और अपने मंसूबे पूरे कर सकें। वहीं एनआरसी पर इतना हंगामा और सरकार के खिलाफ बोलकर ममता ने असम के 40 लाख वोटरों को अपनी ओर करने का भी दांव खेला है। अब देखना है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के यह दांव कितने सटीक बैठते हैं और क्या वह आगामी लोकसभा चुनाव में तीसरे मोर्चे का पीएम चेहरा बन पाती हैं या नहीं?
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