क्या है NRI कोटा? जिसे कांग्रेस ने बनाया, अब सुप्रीम कोर्ट ने फटकारा

क्या है NRI कोटा? जिसे कांग्रेस ने बनाया, अब सुप्रीम कोर्ट ने फटकारा
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अमृतसर: सुप्रीम कोर्ट ने एमबीबीएस नियमों में बदलाव के मामले में पंजाब सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि एनआरआई (विदेशी निवासी भारतीय) कोटा प्रणाली धोखाधड़ी के अलावा कुछ नहीं है। कोर्ट ने पंजाब सरकार की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की गई थी। हाईकोर्ट ने एनआरआई कोटे के जरिए एमबीबीएस कोर्सेज में प्रवेश पाने के संशोधित नियमों को रद्द कर दिया था। पंजाब के मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में एनआरआई कोटे की करीब 185 सीटें हैं।

20 अगस्त को पंजाब सरकार ने एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें एनआरआई उम्मीदवार की परिभाषा में बदलाव किया गया था। इस नए नियम के तहत एनआरआई के करीबी रिश्तेदारों को भी एनआरआई कोटे के तहत मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए योग्य बना दिया गया था। हालांकि, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इस अधिसूचना को खारिज कर दिया था, यह कहते हुए कि इन नियमों का दुरुपयोग हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट में जब यह मामला पहुंचा, तो पंजाब सरकार के वकील ने तर्क दिया कि हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, और चंडीगढ़ जैसे अन्य राज्य भी एनआरआई कोटा के लिए इसी प्रकार की परिभाषा का पालन कर रहे हैं।

लेकिन चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इन दलीलों को नकारते हुए कहा, "आप कह रहे हैं कि एनआरआई के करीबी रिश्तेदार भी इस कोटे के तहत पात्र होंगे। यह तो राज्य द्वारा पैसे कमाने की चाल है।" न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला ने भी इस पर तीखी टिप्पणी की और कहा, "एनआरआई कोटा पूरी तरह से धोखाधड़ी है। इसे बंद कर देना चाहिए। हम अपनी शिक्षा प्रणाली के साथ धोखाधड़ी कर रहे हैं।"

सुप्रीम कोर्ट की यह कड़ी टिप्पणी इस बात पर थी कि एनआरआई कोटा के तहत दाखिले के लिए योग्यताएं बदली जा रही थीं, जिससे अधिक अंक पाने वाले छात्रों को नुकसान हो रहा था। न्यायमूर्ति पारदीवाला ने कहा कि अधिकांश आवेदक भारत के होते हैं, और वे केवल रिश्तेदार होते हैं जैसे चाचा, ताई, आदि। चीफ जस्टिस ने पूछा, "वार्ड का क्या मतलब है? कोई भी बस कह सकता है कि मैं किसी का देखभालकर्ता हूं और वह एनआरआई है। यह स्पष्ट रूप से अवैध है और इसे कोर्ट कभी समर्थन नहीं दे सकता।"

एनआरआई कोटा का इतिहास:-
पंजाब में एनआरआई कोटा पहली बार 1996 में लागू किया गया था, जब तत्कालीन कांग्रेस सरकार सत्ता में थी। इस कोटे को उस समय विदेशी मुद्रा जुटाने के उद्देश्य से पेश किया गया था, ताकि एनआरआई छात्रों को विशेष अधिकारों के तहत मेडिकल और अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश मिल सके। हालांकि, इस कोटे का दुरुपयोग होने की शिकायतें लगातार बढ़ती रहीं, जिससे छात्रों और अभिभावकों के बीच असंतोष पैदा हुआ।

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