नई दिल्ली: लद्दाख के गलवान घाटी से चीनी जवानों को पीछे धकेलने के लिए मोदी सरकार ने अपने सबसे मजबूत कूटनीतिक हथियार का इस्तेमाल किया था। केंद्र ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल को LAC का जिम्मा सौंप दिया था और उन्होंने रविवार को चीनी समकक्ष वांग यी के साथ लगभग दो घंटे तक वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बैठक की थी।
भारत के कड़े रुख के बाद चीन के पास पीछे हटने के अलावा कोई और विकल्प भी नहीं था। भारत ने ड्रैगन को चौतरफा घेर रखा है चीन के 59 ऐप्स पर प्रतिबन्ध लगाने के बाद बीजिंग पूरी तरह से हिल गया था। इसी बातचीत में गलवान में गतिरोध कम करने पर सहमति बनी थी। डोभाल ने वांग यी के साथ बैठक में तमाम मुद्दों पर चर्चा की थी। लद्दाख बॉर्डर पर दोनों पक्षों के सैनिकों के हटने के पीछे का कारण बातचीत है।
गलवान घाटी में 15 जून को दोनों पक्षों के बीच हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे, जबकि चीन के 40 से अधिक जवान मारे गए थे। डोभाल की बातचीत के बाद चीन ने गलवान घाटी में संघर्ष वाले स्थान से 1.5 किलोमीटर अपने जवानों को पीछे हटा लिया है। आपको बता दें कि दोनों देश तनाव को कम करने के लिए कई दौर की कमांडर स्तर की वार्ता कर चुके हैं।
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