नई दिल्ली: दिल्ली में वक्फ संशोधन बिल के विरोध में एक बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें पूर्व राज्यसभा सांसद मोहम्मद अदीब समेत कई नेता शामिल हुए। अपने भाषण के दौरान, मोहम्मद अदीब ने एक बयान दिया, जो विवाद का कारण बन गया। उन्होंने कहा कि भारतीय मुसलमानों ने मोहम्मद अली जिन्ना को समझाने का प्रयास किया था, जिससे पाकिस्तान की सीमा लाहौर तक ही सीमित रही, वरना वह लखनऊ तक फैल सकती थी।
अदीब ने कहा कि उन्होंने अपनी ज़िंदगी के करीब 80 साल पूरे कर लिए हैं और 50 से अधिक साल राजनीति में बिताए हैं। उन्होंने अफसोस जताया कि आज मुसलमान अपने ही देश में खुद को गुनहगार और यहां तक कि "देशद्रोही" की तरह महसूस करते हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोग, जो पहले उनके साथ थे, अब राजनीतिक फायदा उठाने के लिए उनका साथ छोड़ चुके हैं। साथ ही, उन्होंने कहा कि भारत में रहने वाले मुसलमानों ने पाकिस्तान जाने का विकल्प नहीं चुना, फिर भी उनकी वफादारी पर सवाल उठाए जाते हैं।
अदीब ने कहा कि उन्होंने जिन्ना का समर्थन नहीं किया था और नेहरू, गांधी, और मौलाना आजाद के विचारों को अपनाया था। उन्होंने यह भी कहा कि मुसलमानों के इस फैसले को भारतीय सरकार को सराहना चाहिए, क्योंकि इसने पाकिस्तान की सीमाओं को लाहौर तक सीमित कर दिया। उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि मुसलमानों के घरों पर बुलडोजर चलाए जा रहे हैं और उन पर अत्याचार हो रहे हैं। उनके मुताबिक, आज मुसलमानों के पास ताकत नहीं बची और उनकी सामाजिक स्थिति कमजोर हो गई है। अदीब ने अपने छात्रों के दिनों को याद करते हुए कहा कि पहले राजनीति में मुसलमानों को लेकर सम्मान का माहौल था, पर आज ऐसा नहीं है।
इस कार्यक्रम में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष खालिद सैफुल्लाह रहमानी, कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी, समाजवादी पार्टी के नेता मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी और कर्नाटक से राज्यसभा सांसद सैय्यद नसीर हुसैन सहित अन्य कई नेता मौजूद थे।
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