ओडिशा के पूर्व BJD नेता और गोपालपुर से विधायक प्रदीप पाणिग्रही को टाटा मोटर्स में नौकरी का झांसा देकर युवाओं को ठगने के एक केस में 7 माह से अधिक वक़्त जेल में बिताने के उपरांत रविवार को जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। 56 साल के नेता को ओडिशा उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को गंजम जिले के गोलंथरा पुलिस स्टेशन में दर्ज टाटा मोटर्स नौकरी धोखाधड़ी केस में जमानत दे दी। जिससे पूर्व अदालत ने उनके खिलाफ दर्ज इसी तरह के 6 केसों में भी जमानत दे दी थी।
प्रदीप पाणिग्रही टाटा मोटर्स में रोजगार के झूठे वादे के साथ बेरोजगार युवकों से रिश्वत लेने के इलज़ाम में राज्य CID की तरफ से हिरासत में लिया जा गया जिसके बाद 3 दिसंबर से जेल में बंद थे। पाणिग्रही के विरुद्ध गोलंथरा पुलिस स्टेशन में तीन, गंजम जिले के बैद्यनाथपुर पुलिस स्टेशन में दो और ओडिशा की क्राइम ब्रांच में एक केस दर्ज किया गया है। पाणिग्रही ने सभी केसों के लिए 69।45 लाख रुपये की नकद जमानत राशि जमा कर चुके है, जिसमें CID में दर्ज केसों के लिए 47।45 लाख रुपये और बैद्यनाथपुर पुलिस स्टेशन में दर्ज मामलों के लिए 6 लाख रुपये शामिल हैं।
पाणिग्रही पर आरोप और पार्टी से निकाले जाने की कहानी: जंहा इस बात का पता चला है कि पाणिग्रही पर भ्रष्टाचार केस में फंसे IFS अधिकारी अभय पाठक और उनके बेटे आकाश के साथ मिलीभगत का भी इलज़ाम लगाया था। दरअसल, पाणिग्रही की बेटी की शादी बीते वर्ष दिसंबर में उदयपुर के एक पैलेस होटल में आकाश से होनी थी। पुलिस ने कहा कि पाणिग्रही ने पूर्व IFS अधिकारी अभय पाठक के बेटे आकाश पाठक से भी पैसे लिए थे, जिसे बीते माह भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण अनिवार्य रिटायरमेंट दे दिया गया था।
पाणिग्रही ने लगभग एक दशक तक गंजम जिले में सीएम नवीन पटनायक के विधानसभा क्षेत्र हिंजिली की देखभाल की गई थी। वह पहली बार 2009 में गोपालपुर निर्वाचन क्षेत्र से ओडिशा विधानसभा के लिए चुने जा चुके थे, जिस सीट पर उन्होंने निरंतर 3 बार जीत प्राप्त की थी। 2014 में, पटनायक ने उन्हें ग्रामीण विकास, उच्च शिक्षा और विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभागों का मंत्री बना दिया गया था। उन्हें 2017 में कैबिनेट से हटा दिया गया था, लेकिन फिर भी उन्हें ताकतवर नेता माना जाता था।
जिले में 3 वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री होने के उपरांत भी पाणिग्रही को 2015 में बीजद का गंजम जिला अध्यक्ष का पद दिया जा चुका है। 2019 के विधानसभा चुनावों से पहले उन्हें गंजम जिले के 15 विधानसभा क्षेत्रों में से 12 का प्रभार सौप दिया गया था। लेकिन जनविरोधी काम करने के इलज़ाम में वह जल्द ही पक्ष से बाहर हो गए। हिरासत में लेने के उपरान्त सीएम नवीन पटनायक ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया था।
इस दिन टोक्यों जाने वाले भारतीय ओलंपिक खिलाड़ियों को विदाई देंगे प्रधानमंत्री मोदी
कर्ज के बोझतले दबा था व्यापारी, जब नहीं मिला कोई रास्ता तो अपनाया ये तरीका
दिशा पाटनी को जन्मदिन की बधाई देते हुए KRK ने सलमान खान पर फिर कसा तंज, कहा- बूढ़े एक्टर्स के साथ...