बेंगलुरु: कर्नाटक सरकार का एक फैसला ओला-उबर जैसे कैब एग्रीगेटर्स से जुड़े ऑटोरिक्शा ड्राइवर्स के गले की फांस बन गया है। जी दरअसल सरकार ने 25 दिसंबर को क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरणों को ऐप आधारित ऑटो एग्रीगेटर्स से हर राइड के लिए पांच फीसदी सुविधा शुल्क और जीएसटी वसूलने का आदेश दिया था। वहीं ऑटो ड्राइवरों का कहना है कि इससे ऑटो रिक्शा चालकों और यात्रियों को नुकसान हो सकता है। ओला (Ola) उबर (Uber) ड्राइवर्स एंड ओनर्स एसोसिएशन (OUDOA) ने सरकार पर हाईकोर्ट के समक्ष मामला ठीक से न रखने का आरोप लगाया है। इसी के साथ ऑटो ड्राइवरों का यह भी कहना है कि निर्धारित किराया बहुत ज्यादा नहीं लगता है, लेकिन यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि ये कंपनियां लोगों से सुविधा शुल्क कैसे वसूलेंगी।
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इसके अलावा उनका कहना है कि ओला-उबर कंपनियां बहुत ज्यादा शुल्क ले रही थीं, जिसके कारण सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ा। हम नहीं जानते कि नए आदेश का पालन कैसे करेंगे। सामने आने वाली एक रिपोर्ट के अनुसार, यूडीओए के प्रमुख तनवीर पाशा ने कर्नाटक हाईकोर्ट के समक्ष मामले को ठीक से पेश नहीं करने के लिए कर्नाट सरकार को दोषी ठहराया। वहीं तनवीर ने कहा कि सरकार को कर्नाटक ऑन डिमांड ट्रांसपोर्टेशन टेक्नोलॉजी एग्रीगेटर्स रूल्स में संशोधन करना चाहिए था, क्योंकि इसमें ऑटोरिक्शा का कोई प्रावधान नहीं है। इसी के साथ आगे यह भी कहा कि परिवहन विभाग ने अगर हाईकोर्ट को सही जानकारी दी होती, तो अदालत सरकार को नियम में संशोधन करने का निर्देश देती। परिवहन विभाग ने बेंगलुरु शहरी जिला के क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण को भी साथ नहीं लिया।
आपको बता दें कि कर्नाटक सरकार ने ऑटोरिक्शा का किराया तय कर दिया है और न्यूनतम शुल्क तीस रुपये है, वहीं इससे ऊपर प्रति किलोमीटर 15 रुपये किराया लिया जा सकता है। एक ऑटोरिक्शा चालक थिम्मप्पा ने कहा कि यह निर्धारित किराया बहुत ज्यादा नहीं लगता है, लेकिन यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि ये कंपनियां लोगों से कैसे शुल्क लेंगी।
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