देशभर में अभी टोक्यो ओलंपिक को लेकर क्रेज बना हुआ है वही ओलंपिक मैडल जीतने के पश्चात् अक्सर प्लेयर्स को मेडल को दांतों से काटते हुए देखा जा सकता है। कई फोटोग्राफर्स का भी कहना है कि ये बहुत लोकप्रिय पोज है हालांकि टोक्यो ओलंपिक्स 2020 के प्रशासन ने ओलंपिक प्लेयर्स को ऐसा करने से मना किया है तथा इसका कारण भी बहुत अहम है।
वही टोक्यो ओलंपिक 2020 के आयोजनकर्ताओं ने एक ट्वीट के सहारे एथलीट्स को याद दिलाया है कि ये ओलंपिक मैडल को दांतों तले दबाना ठीक निर्णय नहीं होगा। इस ट्वीट में बताया गया है कि ये ओलंपिक मैडल इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस मसलन रिसाइकिल हुए स्मार्टफोन्स से बनाए गए हैं। इस ट्वीट में आगे लिखा था कि इनमें से अधिकांश इलेक्ट्रॉनिक डिवाइज को जापान के व्यक्तियों ने ओलंपिक्स के लिए दान किया है। इस ट्वीट में आगे मजेदार अंदाज में लिखा था कि तो यही वजह है कि आपको इन पदक को दांतों से नहीं काटना चाहिए। मगर हम जानते हैं कि आप भी फिर भी ऐसा करेंगे।
गौरतलब है कि टोक्यो 2020 मेडल प्रोजेक्ट नाम का ये प्रोजेक्ट जापान में दो वर्षों तक चला था। इस रिसाइकिलंग प्रोजेक्ट के सहारे इतने इलेक्ट्रॉनिक डिवाइज को एकत्रित किया गया था जिससे 5000 स्वर्ण, रजत तथा कांस्य पदक को टोक्यो ओलंपिक्स के लिए तैयार किया जा सके। इस कैंपेन में 80 टन इलेक्ट्रॉनिक डिवाइज को एकत्रित किया गया था जिसमें से अधिकांश मोबाइल फोन्स, लैपटॉप तथा बाकी चीजें थीं। प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक, ओलंपिक प्लेयर्स की मेडल्स को दांतों से दबाने की परम्परा वर्ष 1904 से चली आ रही है। उस वर्ष पहला शुद्ध गोल्ड मेडल प्लेयर्स को दिया गया था।
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