श्रीनगर: नेशनल कांफ्रेंस (NC) के नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि यदि पता होता भारत में मुस्लिमों के अधिकारों की रक्षा नहीं होगी, तो कश्मीर के भारत में विलय को लेकर फैसला कुछ और होता। अब्दुल्ला का कहना है कि हमने ये सोचकर विलय के लिए मंजूरी दी थी कि भारत में सभी धर्मों का सम्मान होता है। मगर आज की स्थिति देख लगता है कि यहां सिर्फ एक ही धर्म है।
मस्जिदों में लाउड स्पीकर के मुद्दे पर भी अब्दुल्ला ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि क्यों नहीं मस्जिद में लाउडस्पीकर होने चाहिए। हमने तो मंदिरों और गुरुद्वारों के माइक पर कभी आपत्ति नहीं की। हलाल मीट पर अब्दुल्ला का कहना था कि इसमें क्या गलत है। हमारे धर्म में इसे खाने की मान्यता है। हमने किसी दूसरे को तो जबरदस्ती हलाल मीट खाने के लिए नहीं कहा। जो हमारा धर्म कहता है उसे हम नहीं मानेंगे, तो वो पूरी तरह से गलत होगा।
अब्दुल्ला ने आगे कहा कि इस देश में सभी को अपना धर्म मानने की स्वतंत्रता है। यह हमारे संविधान में लिखा है कि हम धर्मनिरपेक्ष देश हैं। इसका मतलब है कि यहां सभी धर्म समान हैं। उन्हें नहीं लगता है कि किसी सरकार को इससे छेड़खानी करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे खतरे से खेलने से देश के लिए दिक्कतें पैदा हो सकती है। हम चाहेंगे कि ऐसे फैसले ना लिए जाएं। सभी पंथों के लोग अपना-अपना धर्म मानने के लिए स्वतंत्र हैं।
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