वैज्ञानिकों का हमेशा ही एक कहना होता है कि हमारे ग्रह यानी धरती पर सूर्य (सूरज) का बहुत अधिक महत्वपूर्ण प्रभाव है। यह मौसम, महासागरीय धाराओं, मौसमों और जलवायु को संचालित करने का काम करता है। यह पौधों के जीवन को भी संभव बना देता है। वैज्ञानिक इस बारें में यह भी बोलते है कि सूर्य की गर्मी और प्रकाश के बिना पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व नहीं हो सकता। अब इसी सूर्य का एक विशाल टुकड़ा टूट चुका है। इस ताजा घटनाक्रम से वैज्ञानिक भी हैरान हो गए है।
नासा से जुड़ीं एक वैज्ञानिक ने बताया कि सूर्य का एक बड़ा भाग अपनी सतह से टूट गया है और इसने अपने उत्तरी ध्रुव के चारों ओर बवंडर जैसा भंवर भी बना चुके है। तमाम वैज्ञानिक यह जानने के प्रयास में लगे हुए है कि आखिर यह हुआ कैसे है। इस घटनाक्रम का एक वीडियो भी खूब वायरल होने लगा है । यह घटना नासा के जेम्स वेब टेलीस्कोप ने कैप्चर की है जिसे बीते सप्ताह अंतरिक्ष मौसम वैज्ञानिक डॉ तमिता स्कोव ने शेयर किया है।
क्यों हैरान हैं वैज्ञानिक? : जैसा कि हम सभी जानते हैं कि सूरज धरती के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह सौर ज्वाला (जिसे प्रॉमिनेंस भी कहते हैं) का उत्सर्जन करने का काम भी करता है जो कभी-कभी पृथ्वी पर संचार को प्रभावित करता है। इसलिए वैज्ञानिक ताजा घटनाक्रम के बारे में अधिक चिंतित हैं। घटनाक्रम का वीडियो शेयर करते हुए डॉ. स्कोव ने लिखते हुए कहा है कि, "आइए ध्रुवीय भंवर के बारे में बात करें! नॉर्दन प्रॉमिनेंस से मटेरियल अभी-अभी मुख्य फिलामेंट से अलग हो गया है और अब हमारे तारे के उत्तरी ध्रुव के चारों ओर एक विशाल ध्रुवीय भंवर में घूम रहा है। यहां 55 डिग्री से ऊपर सूर्य के वायुमंडलीय गतिकी को समझने के लिए निहितार्थों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश नहीं किया जा सकता है!"
लगातार नजर रख रहे हैं वैज्ञानिक: नासा वैज्ञानिकों का इस बारें में कहना है कि, प्रॉमिनेंस सूर्य की सतह से बाहर की ओर फैली एक बड़ी चमकीली परत है। अतीत में ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं लेकिन ताजा घटनाक्रम ने वैज्ञानिक समुदाय को भी हैरान कर दिया है। डॉ स्कोव ने एक अन्य ट्वीट में कहा, "#SolarPolarVortex की अधिक निगरानी से पता चलता है कि मटेरियल को लगभग 60 डिग्री अक्षांश पर ध्रुव को परिचालित करने में लगभग 8 घंटे लगे। जिसका मतलब है कि इस घटना में क्षैतिज हवा की गति के अनुमान में एक ऊपरी सीमा 96 किलोमीटर प्रति सेकंड या 60 मील प्रति सेकंड बताया जा रहा है!"
Talk about Polar Vortex! Material from a northern prominence just broke away from the main filament & is now circulating in a massive polar vortex around the north pole of our Star. Implications for understanding the Sun's atmospheric dynamics above 55° here cannot be overstated! pic.twitter.com/1SKhunaXvP
— Dr. Tamitha Skov (@TamithaSkov) February 2, 2023
इसका धरती पर क्या असर होगा इसको लेकर वैज्ञानिक पड़ताल में अब भी जुटे हुए है। यूएस नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक रिसर्च के सौर भौतिक विज्ञानी स्कॉट मैकिन्टोश ने इस बारें में कहा है कि उन्होंने कभी ऐसा "भंवर" नहीं देखा था। अंतरिक्ष वैज्ञानिक अब इसके बारे में ज्यादा जानकारी इकट्ठा करने और एक स्पष्ट तस्वीर पेश करने के लिए इस घटना का विश्लेषण भी करने में लगे हुए है।
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