नई दिल्ली: कोरोना संक्रमण के ओमिक्रॉन वैरिएंट पर अब भी मंथन चल रहा है कि ये पूर्ववर्ती डेल्टा वैरिएंट से कितना घातक है? इसी बीच ओमिक्रॉन पर वैक्सीन को लेकर एक अध्ययन हुआ है, यह अध्ययन फाइजर वैक्सीन पर दक्षिण अफ्रीका में उपस्थित अफ्रीका हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट ने की है। इस अध्ययन में दावा किया गया है कि फाइजर वैक्सीन की दो डोज का ओमिक्रॉन पर प्रभाव आंशिक रूप से ही है।
इस अध्ययन में एक बात और भी सामने आई है कि जिन व्यक्तियों ने वैक्सीन की दोनों डोज ली थीं तथा पहले से इंफेक्शन था, उन अधिकांश मामलों में वैरिएंट को बेअसर कर दिया गया। अध्ययन में ये सुझाव भी दिया गया है कि वैक्सीन की बूस्टर डोज वैरिएंट से बचा सकती हैं। अफ्रीका हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर एलेक्स सिगल ने ट्विटर पर बताया कि ओमिक्रॉन वैरिएंट को बेअसर करने के केस में एक बड़ी कमी देखने को मिली है, जोकि पहले के कोरोना स्ट्रेन की तुलना में अधिक है।
उन्होंने बताया कि लैब में 12 ऐसे व्यक्तियों के ब्लड का टेस्ट हुआ, जिन लोगो ने फाइजर बायोएनटेक की वैक्सीन ली थी। इनमें से 6 में से 5 व्यक्ति, जिन्होंने वैक्सीन की डोज ली थी तथा कोरोना के पहले के वैरिएंट से ग्रस्त हो चुके थे, उन्होंने ओमिक्रॉन वैरिएंट को बेअसर कर दिया। सिगल ने बताया, जो परिणाम आए हैं, वह जैसा मैं सोच रहा था उससे बहुत पॉजिटिव हैं। आपको जितनी एंटीबॉडी मिलेंगी, ओमिक्रॉन से निपटने के अवसर उतने ही बढ़ जाएंगे। सिगल ने ये भी बताया कि अभी उन व्यक्तियों का लैब में टेस्ट नहीं हुआ जिन लोगों को वैक्सीन का बूस्टर शॉट लगा है। ऐसे लोग अभी दक्षिण अफ्रीका में उपस्थित नहीं हैं।
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