करवाचौथ पर जरूर करें वास्तु के इन 5 नियमों का पालन, सुखी रहेगा वैवाहिक जीवन

करवाचौथ पर जरूर करें वास्तु के इन 5 नियमों का पालन, सुखी रहेगा वैवाहिक जीवन
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करवा चौथ का त्योहार भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखता है और इसे बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और स्वस्थ जीवन के लिए व्रत रखती हैं। यह पर्व हर साल कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाया जाता है, जो आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर महीने में पड़ता है। करवा चौथ के दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले सरगी ग्रहण करती हैं और पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। शाम के समय चंद्रमा के दर्शन और पूजा करने के बाद ही वे जल ग्रहण करती हैं। इस दिन का धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व बहुत बड़ा है।

करवा चौथ की पूजा में वास्तु शास्त्र का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, अगर इस दिन कुछ विशेष नियमों का पालन किया जाए तो यह न सिर्फ व्रत का फल बढ़ाता है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और खुशहाली लाता है। यहां हम विस्तार से बता रहे हैं कि करवा चौथ के दिन पूजा के दौरान किन 5 वास्तु नियमों का पालन करना चाहिए ताकि यह दिन आपके और आपके परिवार के लिए और भी फलदायक हो सके।

1. पूजा के समय दिशा का रखें ध्यान
वास्तु शास्त्र में दिशाओं का विशेष महत्व होता है और करवा चौथ के दिन पूजा के दौरान दिशा का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक होता है। पूजा के समय सही दिशा का चयन करना व्रत करने वाली महिलाओं के लिए शुभ फलदायी माना जाता है।

दक्षिण दिशा से बचें: पूजा के समय महिलाओं का मुख दक्षिण दिशा की ओर नहीं होना चाहिए। दक्षिण दिशा को यमराज की दिशा माना जाता है, इसलिए इसे अशुभ माना जाता है।
उत्तर या पूर्व दिशा का चयन करें: पूजा करते समय हमेशा उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करें। ये दिशाएं शुभ मानी जाती हैं और इनकी ओर मुख करके पूजा करने से व्रत का सकारात्मक फल मिलता है। उत्तर दिशा को कुबेर की दिशा माना जाता है, जो धन और समृद्धि का प्रतीक है, जबकि पूर्व दिशा को भगवान सूर्य की दिशा माना जाता है, जो जीवन और ऊर्जा का स्रोत हैं।

2. कथा पढ़ने की सही दिशा
करवा चौथ के दिन कथा का पाठ विशेष महत्व रखता है। यह पूजा का अभिन्न हिस्सा है और व्रत रखने वाली महिलाएं कथा सुनकर अपनी पूजा को पूर्ण करती हैं।

उत्तर-पूर्व दिशा में मुख करके पढ़ें कथा: करवा चौथ की कथा सुनते या पढ़ते समय हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें। यह दिशा ज्ञान और आध्यात्मिक ऊर्जा की दिशा मानी जाती है। उत्तर-पूर्व दिशा में बैठकर कथा पढ़ने से परिवार में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है, और पति-पत्नी के संबंधों में भी मजबूती आती है।

3. सरगी की दिशा
सरगी, करवा चौथ के व्रत का आरंभ करने की पहली प्रक्रिया होती है। यह एक खास परंपरा है, जिसमें सास अपनी बहू को सूर्योदय से पहले खाने के लिए सरगी देती है। इसमें मिठाई, फल, ड्राई फ्रूट्स और कई प्रकार के पौष्टिक पदार्थ होते हैं, जो पूरे दिन ऊर्जा बनाए रखने में सहायक होते हैं।

दक्षिण-पूर्व दिशा में सरगी ग्रहण करें: वास्तु शास्त्र के अनुसार, सरगी ग्रहण करते समय दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर मुख करना शुभ माना जाता है। यह दिशा अग्नि देव की दिशा है, जो ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक है। इस दिशा में मुख करके सरगी लेने से दिनभर व्रत रखने की शक्ति मिलती है और व्रत सफलतापूर्वक पूरा होता है।

4. चंद्रमा को अर्घ्य देने की दिशा
करवा चौथ का सबसे महत्वपूर्ण चरण चंद्रमा के दर्शन और अर्घ्य देने का होता है। चंद्रमा को अर्घ्य देने से व्रत पूरा होता है और महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं।

उत्तर-पश्चिम दिशा में दें चंद्रमा को अर्घ्य: चंद्रमा को अर्घ्य देते समय हमेशा उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर मुख करें। उत्तर-पश्चिम दिशा को वायव्य कोण भी कहा जाता है, जो वायु तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। इस दिशा में चंद्रमा को अर्घ्य देने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और जीवन में स्थिरता और शांति आती है।

5. पूजा के दौरान विशेष वस्त्र और सजावट
करवा चौथ के दिन महिलाओं के लिए विशेष रूप से सजना-संवरना और पारंपरिक वस्त्र धारण करना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन महिलाएं सुंदर श्रृंगार करती हैं, जो उनके वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि लाने का प्रतीक है।

लाल और पीली चूड़ियों का महत्व: इस दिन महिलाएं विशेष रूप से लाल और पीले रंग की चूड़ियां पहनती हैं, जो सौभाग्य और शुभता का प्रतीक होती हैं। लाल रंग जीवन में उर्जा और प्रेम को दर्शाता है, जबकि पीला रंग समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक है।
पूजा सामग्री का विशेष महत्व: पूजा के दौरान एक कलश में जल, मिठाई, फूल, फल, और लाल सिंदूर रखना चाहिए। यह सभी सामग्री वास्तु के अनुसार शुभ मानी जाती है और इससे पूजा का प्रभाव और बढ़ जाता है। खासकर लाल सिंदूर का इस्तेमाल विवाहिता महिलाओं के लिए शुभ माना जाता है।

करवा चौथ केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत और पवित्र बनाए रखने का एक माध्यम भी है। अगर इस दिन वास्तु के कुछ नियमों का ध्यान रखा जाए, तो यह न केवल व्रत का फल बढ़ाता है, बल्कि जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि भी लाता है।

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