राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ, पीएम मोदी बोले- ये हमारी संस्कृति और अध्यात्म की महान धरोहर

राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ, पीएम मोदी बोले- ये हमारी संस्कृति और अध्यात्म की महान धरोहर
Share:

नई दिल्ली: अयोध्या के राममंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ का उत्सव भव्यता और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर देशवासियों को बधाई दी और इस मंदिर को भारतीय संस्कृति और अध्यात्म की महान धरोहर बताया। उन्होंने कहा कि सदियों की तपस्या और बलिदान से निर्मित यह मंदिर भारत की आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने विश्वास जताया कि राममंदिर न केवल आस्था का केंद्र बनेगा, बल्कि एक विकसित और सशक्त भारत के निर्माण में प्रेरणा देगा।  

इस वर्षगांठ समारोह का आयोजन 11 से 13 जनवरी तक किया जा रहा है। पिछले साल यह ऐतिहासिक अवसर प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति में संपन्न हुआ था, लेकिन आम लोग इसमें भाग नहीं ले पाए थे। इस बार समारोह को पूरी भव्यता के साथ आयोजित किया जा रहा है, जिसमें लाखों श्रद्धालुओं के साथ-साथ करीब 110 विशिष्ट अतिथि भी शामिल हो रहे हैं। अयोध्या के प्रसिद्ध अंगद टीला स्थल पर एक विशेष जर्मन हैंगर टेंट लगाया गया है, जहां 5000 लोगों के लिए बैठने और भोजन की व्यवस्था की गई है। 

 

उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान और अयोध्या के 100 से अधिक संत और धर्माचार्य इस उत्सव में हिस्सा ले रहे हैं। उत्सव की शुरुआत यजुर्वेद के पाठ से हुई, और दोपहर 12:20 बजे भगवान रामलला की भव्य आरती हुई। श्रद्धालुओं के लिए यह आरती एक दिव्य अनुभव रही। रामलला को 56 व्यंजनों का विशेष भोग अर्पित किया गया, जिसे प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं में बांटा गया।  

पिछले साल 22 जनवरी को द्वादशी तिथि के दिन रामलला की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हुई थी। इस वर्ष यह तिथि पंचांग के अनुसार 11 जनवरी को पड़ी, इसलिए इसी दिन इस शुभ अवसर की पहली वर्षगांठ मनाई जा रही है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ पर लाखों श्रद्धालु अयोध्या पहुंचे हैं। यहां मंदिर के चारों ओर भक्ति और उल्लास का वातावरण है। स्थानीय बाजारों में भी चहल-पहल बढ़ गई है। राममंदिर के आसपास विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें भजन, कीर्तन, और रामकथा के आयोजन प्रमुख हैं।  

राममंदिर के निर्माण ने न केवल भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास में एक नई गाथा लिखी है, बल्कि यह देशवासियों के विश्वास और एकता का भी प्रतीक बना है। इस मंदिर ने दुनियाभर में भारतीय संस्कृति की गूंज को और अधिक प्रखर किया है। यह वर्षगांठ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भारत के गौरवशाली इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर को नई पीढ़ियों तक पहुंचाने का प्रयास भी है।

Share:

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
- Sponsored Advert -