नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने 1772 गैर सहायता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों को ऑडिट नोटिस जारी किया है। स्कूलों से 14 दिन के अंदर बीते पांच वर्षों का हिसाब मांगा गया है। दिल्ली हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की बेंच ने इस मामले में पूर्व में दिल्ली सरकार द्वारा इन स्कूलों के खातों की जांच न करने पर नाराजगी प्रकट की थी।
उच्च न्यायालय के निर्देश पर अब CAG द्वारा स्कूलों को नोटिस भेजा गया है। नोटिस में हाईकोर्ट के आदेश का जिक्र करते हुए कहा गया है कि 31 मार्च 2023 तक का हिसाब किताब की रिपोर्ट बनाकर पेश करें। CAG को स्कूलों के ऑडिट की विस्तृत रिपोर्ट 11 मार्च 2024 को हाईकोर्ट में जमा करनी है। CAG ने अपने ऑडिट नोटिस में कहा है कि स्कूल इस नोटिस को गंभीरता से लें।
CAG ने क्या-क्या पुछा :-
- आगामी वर्ष की प्राप्तियों और भुगतान का बजट अनुमान।
- आय-व्यय की जानकारी, गत वर्ष की बैलेंस शीट, आंतरिक लेखापरीक्षा रिपोर्ट
- 30 अप्रैल 2023 तक छात्रों के नामांकन की जानकारी
- रियायतें/छात्रवृत्ति आदि का पैटर्न
- स्कूल कर्मचारियों का वेतन और अन्य खर्च का ब्योरा
- फीस, जुर्माना, फंड की लिस्ट
- वेतन के संवितरण की तारीखों को दर्शाने वाली जानकारी।
बता दें कि, दिल्ली हाई कोर्ट में एक गैर सरकारी संगठन जनसेवा वेलफेयर सोसाइटी ने एक जनहित याचिका (PIL) दाखिल करते हुए कहा था कि प्राइवेट स्कूलों को तब तक फीस बढ़ाने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए, जब तक कि उनके खातों का ऑडिट कैग और शिक्षा निदेशालय द्वारा नहीं हो जाता। प्राइवेट स्कूलों का ऑडिट 2010 में किया गया था। उस वक़्त भी 25 प्राइवेट स्कूलों का ही ऑडिट हुआ था।
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