नगांव: असम के नगांव जिले में कंगारू अदालत के आदेश के बाद व्यक्ति को खुलेआम जिंदा जला दिया गया। तत्पश्चात, शव के बचे अवशेषों को दफन कर दिया। मृतक की पहचान रंजीत बोरदोलोई के तौर पर हुई है। मामले की तहरीर प्राप्त होते ही समागुरी पुलिस मौके पर पहुंची। कई घंटे की मशक्कत के पश्चात् पुलिस ने मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में मृतक के शव को बाहर निकाला। अन्य ग्रामीणों ने बताया कि कुछ दिन पहले जादू टोना करने के संदेह में नवविवाहित महिला की हत्या कर दी गई थी।
वही यह पूरी घटना नगांव जिले के बोरलालुंग गांव की है। पता चला था कि गांव में रहने वाली सबिता पातोर नामक महिला की 5 व्यक्तियों ने मिलकर क़त्ल कर दिया था। मामले की तहकीकात के लिए कंगारू अदालत को बुलाया गया, जहां सबिता पातोर की हत्या में सम्मिलित लोगों पर मुकदमा चलाया गया। इसी बीच, मुख्य अपराधी रंजीत ने सबिता की हत्या की बात स्वीकार कर ली।
वही जैसे ही रंजीत ने गुनाह स्वीकारा, वैसे ही कंगारू कोर्ट ने उसे जिंदा जला देने का हुकुम सुनाया। आक्रोशित ग्रामीणों ने उसे पीटना आरम्भ कर दिया तथा खुलेआम जिंदा जला दिया। बाद में रंजीत के शव को दफना दिया गया। इसमें सम्मिलित ग्रामीणों ने सभी सबूतों को भी मिटाने का पूरा प्रयास किया। किन्तु पुलिस ने कड़ी मशक्कत के बाद शव को तलाश ही निकाला। नगांव के सब-डिविजनल पुलिस अधिकारी मृणमय दास ने बताया कि उन्हें शुक्रवार शाम 6 बजे तहरीर प्राप्त हुई कि व्यक्ति को जिंदा जलाकर दफना दिया गया है। हमने कड़ी मशक्कत के पश्चात् डेड बॉडी को तलाश निकाला। फिलहाल उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। फिलहाल कुछ व्यक्तियों को गिरफ्त में लिया गया है तथा उनसे पूछताछ जारी है। पता लगाया जा रहा है कि आखिर इस क़त्ल के पीछे सच्चाई क्या है? दरअसल, कंगारू कोर्ट का आशय उस प्रकार की अदालत या पंचायत से है, जहां गैरकानूनी तरीके से किसी को अपराधी मानकर सजा दी जाती है। या कहें कि लोगों के किसी समूह के दबाव में आकर एकतरफा फैसला सुना दिया जाता है।
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