कई तरह के फतवे जारी होते है और अजीब गरीब रिवाजो के कारण मुस्लिम वर्ग चर्चा में आ जाता है और साथ ही कई आलोचना का शिकार भी होता है. बीते दिनों सोनू निगम के अजान के ट्वीट को लेकर वह चर्चा में आ गए, किन्तु कभी किसी ने इस चीज के गहन में जा के सोचा है कि ये वास्तव में होता क्या है. इसकी जड़े क्या है, तर्क और शर्ते क्या है.
खैर इसी क्रम में हम आपको बताने जा रहे है मुस्लिम समुदाय की मस्जिदों में दी जाने वाली अजान के बारे में. सामान्यतः मान्यता है कि अल्लाह को याद करने के लिए, इबादत करने के लिए अजान दी जाती है. किन्तु इसके पीछे प्रमुख कारण कुछ और है. अजान इसलिए दी जाती है ताकि अवाम को सूचित किया जा सके, नमाज का वक्त हो चला है, सारे काम छोड़िए और आये नमाज पढ़े.
अजान आवाम को नमाज के वक्त की जानकारी देती है. अजान देने वाले को मुअज्जिन कहते हैं. मुअज्जिन नियमित रूप से दिन में पाँच बार अजान देते है और दिनचर्या में व्यस्त लोगों को भले काम के लिए बुलाते है. अजान का अर्थ है अल्लाह एक है, हजरत मोहम्मद अल्लाह के रसूल है. आओ नमाज की ओर, आओ कामयाबी की ओर.
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