भारत में कई तरह के त्यौहार मनाये जाते हैं और उनमे एक ओणम भी है जिसे बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है. यर पर्व दक्षिण का खास पर्व है जिसे हर्षोल्लास से मनाते हैं. केरल में इसे खास तौर पर मनाया जाता है. तो चलिए जान लेते हैं क्या है ओणम का पर्व और कैसे मनाते हैं.
दरअसल, इस पर लोगों का मानना है कि तिरुओणम या ओणम वह अवसर है सम्राट महाबली की आत्मा केरल की यात्रा करती है. इसी कारण कई जगह पर महिलाएं फूलों की रंगोली बनाती है जिसे 'ओणमपुक्कलम' कहते हैं और 'आडाप्रधावन' यानी खीर को बाँटते हैं. इसी के साथ ओणम के दौरान पूरे केरल में कई तरह की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है, जिसमें नौका प्रतियोगिता खास प्रसिद्द है और इसके अलावा नृत्य में लोकनृत्य, शेरनृत्य, कुचिपुड़ी, ओडीसी, कत्थक नृत्य भी प्रसिद्द हैं.
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इसके बारे में पुराण में भी बताया गया है कि ओणम सम्राट महाबली के सम्मान में मनाया जाता है क्योंकि भगवान विष्णु के पाँचवें अवतार 'वामन' ने चिंगम मास के इस दिन सम्राट महाबली के राज्य में प्रकट होकर उन्हें पाताललोक भेजा था. मृत्यु के बाद महाबली ने भगवान विष्णु से साल में एक दिन अपनी प्रजा से मिलने के लिए धरती पर आने की अनुमति मांगी थी और इसी के उपलक्ष में ये पर्व मनाया जाता है.
'चिंगम' मास मलयालम कैलेंडर का पहला माह है जिसमें ओणम मनाया जाता है. यह त्यौहार फसलों की कटाई से संबंधित भी है जिसे चार से दस दिनों तक मनाया जाता है जिसमें पहला और आखिरी दिन काफी खास होता है.
देख भाई देख..