कहते है कि भारत 'फेस्टिवल्स' का देश है, और यहाँ हर दिन कोई ना कोई त्यौहार मनाया जाता है. वैसे हमारे देश में कई धर्म और संप्रदाय के लोग रहते है इसलिए अलग अलग त्यौहार भी मनाये जाते है. ऐसा ही एक त्यौहार है 'ओणम'. ओणम खासकर केरल में मनाया जाता है. ये यहाँ का मुख्य फेस्टिवल है और धूम-धाम से मनाया जाता है. तो आइये जानते है ओणम से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें-
इतिहास के अनुसार ओणम को मनाने के पीछे कि वजह बड़ी ही रोचक है. बताया जाता है कि राजा महाबली के स्वर्गवासी हो जाने के बाद उन्होंने भगवान विष्णु से साल में एक दिन अपनी प्रजा से मिलने के लिए धरती पर आने की अनुमति मांगी और बताया जाता है कि भगवान ने इसकी अनुमति दे दी. बताया जाता है कि इसके बाद से हर साल राजा महाबली अपनी प्रजा से मिलने के लिए धरती पर आते है. इस दिन राज्य के लोग उनका भव्य स्वागत करते. ओणम के दौरान केरल को पूरी तरह से सजा दिया जाता है. लोग अपने घरों में रंगोली बनाते है. केरल में काफी बड़े स्तर पर इस त्यौहार को लोगों द्वारा मिलकर मनाया जाता है. केरल में फ़सल पकने की ख़ुशी और ओणम के त्यौहार की वजह से यहाँ के लोग अपने घरों को खुबसूरत रंगोली से सजाते है.
ओणम के आने से कई दिनों पहले ही इसकी तैयारियां शुरू हो जाती है. ओणम के लिए कई तरह के पकवान बनाये जाते है. यहाँ पर लोग ओणम लंच का भी आयोजन करते है जिसमे दोस्त रिश्तेदार और नज़दीकियों को बुलाते है. ओणम की खासियतों में से एक है यहाँ के स्पेशल पकवान जिनमे खिचड़ी करेला, खिचड़ी बीटरूट, अवियल, पुल्लिस्सेरी, दाल, सांभर, दही, घी, आमदुध और चावल की खीर, केला चिप्स जैसी 27 डिशेज होती है जो दक्षिण भारत की पहचान कही जाती है. इन पकवानों की केले के पत्ते पर ही रखकर खाया जाता है.
ओणम के दौरान पूरे केरल में कई तरह की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है, जिनमे यहाँ की नौका प्रतियोगिता दुनियाभर में फेमस है. वहीं नृत्य में लोकनृत्य, शेरनृत्य, कुचिपुड़ी, ओडीसी, कत्थक नृत्य आदि प्रमुख है.
पोक्कलम याने फूलों की रंगोली, मलयाली समुदाय की महिलाएं ओणम के दौरान फूलों की पंखुड़ियों से खुबसूरत पोक्क्लम बनाती है. ओणम में पोक्कलम का बड़ा महत्त्व है और ये इतनी आकर्षक होती है की आपका दिल जीत लेती है.
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