इंदौर/ब्यूरो। भूमाफियाओं के चंगुल में फंसी श्रीराम गृह निर्माण सहित अन्य संस्थाओं की हड़पी जमीन पर विकसित की गई अवैध हिना पैलेस का फर्जीवाड़ा एक बार फिर सुर्खियों में है। कलेक्टर मनीषसिंह ने 50 पेज की विस्तृत जांच रिपोर्ट में 500 करोड़ के इस महा-भूघोटाले की पोलपट्टी खोल डाली और सिलिंग की धारा 20 की मिली छूट के दुरुपयोग के चलते जमीन को सरकारी घोषित करने का प्रस्ताव भी शासन को भिजवा दिया।
दूसरी तरफ भ्रष्टाचार से लडऩे के लिए बनाए गए लोकायुक्त संगठन की स्थिति यह है कि उसने 8 साल पहले जोर-शोर से हिना पैलेस के नियमितीकरण में हुए घोटाले का प्रकरण दर्ज किया, जिसमें भू-माफियाओं के साथ-साथ निगम, सहकारिता विभाग के अफसरों की भूमिका भी चिह्नित की और अपनी जांच रिपोर्ट में घोटाला दस्तावेजों में साबित भी किया, लेकिन फिर अचानक खात्मा पेश कर डाला।
लोकायुक्त ने श्रीराम, वैभवलक्ष्मी, टेलीकॉम संस्थाओं के साथ-साथ इस पूरे घोटाले में लिप्त दिलीप सिसौदिया उर्फ दीपक मद्दा, जितेंद्र धवन, राजीव धवन, रामसेवक पाल, माखनलाल कथित अध्यक्ष हिना पैलेस के खिलाफ विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज किए थे।
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