किसी समय में एक नहीं बल्कि 2 थी मध्य प्रदेश की राजधानी, जानिए इतिहास

किसी समय में एक नहीं बल्कि 2 थी मध्य प्रदेश की राजधानी, जानिए इतिहास
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1 नवंबर को मध्यप्रदेश का स्थापना दिवस सेलिब्रेट किया जा रहा है। इस बीच पूरे राज्य में हर जगह विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाने वाले है। मध्यप्रदेश की स्थापना को लेकर ये सवाल सबके मन में आता है कि आखिर वो क्या कारण था जिनके चलते मध्य प्रदेश अस्तित्व में आया? यहां हम आपको राज्य की स्थापना से संबंधित खास जानकारियां हम आपको दे रहे हैं। 

मध्यभारत प्रांत का गठन 28 मई 1948 को किया गया था, जिसमें ग्वालियर और मालवा का इलाका शामिल था। मध्यभारत प्रांत के प्रथम राजप्रमुख ग्वालियर रियासत के महाराजा जीवाजी राव सिंधिया थे। प्रांत में दो राजधानियां थीं। ग्वालियर शीतकालीन राजधानी थी तो वहीं इंदौर को ग्रीष्म राजधानी बनाया गया था। मध्यप्रदेश का पुनर्गठन भाषाई आधार पर किया गया। वहीं 26 जनवरी, 1950 को देश में संविधान लागू होने के बाद देश में सन् 1952 में पहले लोकसभा चुनाव हुए, जिसकी वजह से संसद एवं विधान मण्‍डल कार्यशील हुए।

 

प्रशासनिक दृष्टि से इन्‍हें श्रेणियों में बांटा गया था। सन् 1956 में प्रदेशों के पुनर्गठन के फलस्‍वरूप 1 नवंबर 1956 को नया राज्‍य मध्‍यप्रदेश अस्तित्‍व में आया। इसके घटक राज्‍य मध्‍यप्रदेश, मध्‍यभारत, विन्‍ध्‍य प्रदेश और भोपाल थे, जिनकी अपनी अपनी अलग विधानसभाएं थीं। डॉ. पटटाभि सीतारामैया मध्यप्रदेश के पहले गवर्नर हुए। जबकि पहले सीएम के रूप में पंडित रविशंकर शुक्ल ने शपथ ली थी। वहीं पंडित कुंजी लाल दुबे को मध्यप्रदेश का पहला अध्यक्ष नियुक्त किया गया।

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