15 मिनट तक वॉशिंग मशीन में डूबा रहा डेढ़ साल का मासूम, बाहर निकाला तो कोमा में गया फिर जो हुआ वो कर देगा हैरान

15 मिनट तक वॉशिंग मशीन में डूबा रहा डेढ़ साल का मासूम, बाहर निकाला तो कोमा में गया फिर जो हुआ वो कर देगा हैरान
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नई दिल्ली: दिल्ली में एक खतरनाक हादसे में एक डेढ़ वर्षीय मासूम बच्चा साबुन और पानी से भरी टॉप लोडिंग वाशिंग मशीन में गिर गया। इतना ही नहीं बल्कि वह उस पानी में तकरीबन 15 मिनट तक रहा डूबा रहा। 7 दिन कोमा एवं वेंटीलेटर पर और फिर 12 दिन वार्ड में रहने के पश्चात् वह चमत्कारिक तौर पर ठीक हो गया है तथा घर चला गया है। बच्चा वसंत कुंज के फोर्टिस हॉस्पिटल में भर्ती था। हॉस्पिटल के चिकित्सकों ने बताया कि अब बच्चा सामान्य व्यवहार कर रहा है एवं ठीक से चल रहा है।

प्राप्त एक खबर के मुताबिक चिकित्सकों ने बताया, जब उसे हॉस्पिटल लाया गया तो लड़का बेहोश और ठंडा था और सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। नियोनेटोलॉजी एंड पीडियाट्रिक्स के निदेशक डॉ राहुल नागपाल ने कहा, "बच्चा नीला पड़ गया था एवं हांफ रहा था, उसका हार्ट रेट कमजोर था और कोई पल्स और बीपी नहीं था।" डॉक्टर ने बताया कि बच्चे मां के अनुसार, टॉप लोडिंग वाशिंग मशीन में बच्चा 15 मिनट तक साबुन के पानी के अंदर रहा, जिसका ढक्कन खुला हुआ था। वह कमरे से बाहर चली गई थी और लौटने पर कुछ देर तक उसे बच्चा नहीं मिला। वह जाहिरा तौर पर एक कुर्सी पर चढ़कर मशीन में गिर गया था। डॉ नागपाल ने कहा- "बच्चे के पानी के अंदर रहने का वक़्त शायद 15 मिनट से कम होगा, वरना वह जीवित नहीं बच सकता था। उन्होंने कहा कि फिर भी मासूम का बच जाना एक चमत्कार ही है।

बाल रोग विभाग की कंसल्टेंट डॉ हिमांशी जोशी ने बोला कि बच्चे को गंभीर हालत में हॉस्पिटल लाया गया था। साबुन के पानी के कारण उसके विभिन्न अंगों पर गलत प्रभाव पड़ा था, जिसमें इलेक्ट्रोलाइट इंबैलेंस भी सम्मिलित था। उसे कैमिकल न्यूमोनिटिस (जीवाणु निमोनिया- फेफड़ों की सूजन या कैमिकल स्मोक में सांस लेने या कुछ कैमिकल्स में सांस लेने की वजह से सांस लेने में कठिनाई) हो गया था। बाद में उसे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इंफेक्शन भी हो गया। उन्होंने कहा कि बच्चे को जरुरी एंटीबायोटिक्स और आईवी फ्लूइड सपोर्ट दिया गया, जिसके बाद वह ठीक होने लगा। आहिस्ता-आहिस्ता वह अपनी मां को पहचानने लगा और उसे वेंटिलेटर से हटा दिया गया। रोगी को बाल चिकित्सा आईसीयू में सात दिनों तक रखा गया, तत्पश्चात, उसे वार्ड में  शिफ्ट कर दिया गया जहां वह 12 दिनों तक रहा। चिकित्सकों ने कहा कि किसी भी न्यूरोलॉजिकल कॉम्प्लीकेशन का आकलन करने के लिए उसका सीटी ब्रेन किया गया था, मगर उसके मस्तिष्क को कोई नुकसान नहीं दिखा है। बच्चे का आगे उपचार चल रहा है।

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