आज संसद में पेश होगा एक देश-एक चुनाव विधेयक, पहले ही विरोध में उतरे दिग्विजय सिंह

आज संसद में पेश होगा एक देश-एक चुनाव विधेयक, पहले ही विरोध में उतरे दिग्विजय सिंह
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नई दिल्ली: संसद में आज का दिन बहुत ही अहम होने वाला है। केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल मंगलवार को लोकसभा में संविधान (एक सौ उनतीसवां संशोधन) विधेयक, 2024 पेश करेंगे, जिससे 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' प्रस्ताव का मार्ग प्रशस्त होगा। इस बिल का उद्देश्य देश भर में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराना है।

इसके अतिरिक्त, कानून मंत्री द्वारा दिन के कार्यक्रम के अनुसार केंद्र शासित प्रदेश अधिनियम, 1963, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली अधिनियम, 1991 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन करने के लिए विधेयक पेश किए जा सकते हैं। ये विधेयक दिल्ली, जम्मू और कश्मीर और पुडुचेरी में एक साथ विधानसभा चुनाव कराने की मांग करते हैं। उल्लेखनीय है कि, केंद्रीय कैबिनेट ने सितंबर में पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक साथ चुनाव पर एक उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था।

समिति की रिपोर्ट में दो चरणों में एक साथ चुनाव कराने की रूपरेखा तैयार की गई है: पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराना और आम चुनाव के 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव (पंचायत और नगरपालिका चुनाव) कराना। पैनल ने सभी चुनावों के लिए एक समान मतदाता सूची की भी सिफारिश की है।
हालाँकि, विपक्षी दलों के INDIA गठबंधन की कई पार्टियों ने इस विधेयक का विरोध किया है, जबकि भाजपा के नेतृत्व वाला NDA गठबंधन इसके समर्थन में है। NDA का दावा है कि इससे समय की बचत होगी, जनता पर बोझ कम होगा, चुनाव लागत कम होगी और देश भर में चुनावी प्रक्रिया सुचारू होगी।

कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने विधेयक की व्यावहारिकता पर चिंता जताई। उन्होंने सवाल किया कि, "अगर कोई राज्य सरकार छह महीने में गिर जाती है या अपना बहुमत खो देती है, तो क्या राज्य को बाकी 4.5 साल बिना सरकार के रहना पड़ेगा? किसी भी राज्य में चुनाव छह महीने से ज़्यादा नहीं टाले जा सकते। अगर 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पेश किया जाता है और किसी राज्य में छह महीने के भीतर सरकार गिर जाती है या अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो क्या हम 4.5 साल बिना सरकार के रह पाएंगे? इस देश में यह संभव नहीं है। पहले सरकारें अपना कार्यकाल पूरा करने के लिए पाँच साल का समय लेती थीं, लेकिन आज कुछ सरकारें 2.5 साल में गिर जाती हैं और कुछ तीन साल में।"

वहीं, कांग्रेस सांसद जयराम रमेश का कहना है कि, इस विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजा जाना चाहिए। रमेश तो इस विधेयक को सीधा लोकतंत्र को कमज़ोर करने वाला बता रहे हैं। बता दें कि, 12 दिसंबर को मोदी कैबिनेट ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' विधेयक को मंजूरी दे दी थी, जिससे इसे संसद में पेश करने का रास्ता साफ हो गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट के इस फैसले की सराहना करते हुए इसे भारत के लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया था।

 

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