हिमाचल के हिस्से का एक प्रतिशत टैक्स नए बने केंद्रशासित राज्यों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के विकास को दिया जा सकता है । 15वें वित्तायोग ने केंद्र के टैक्स में हिमाचल की हिस्सेदारी को अन्य राज्यों की तरह ही 42 से घटाकर 41 प्रतिशत कर दिया है। फिलहाल , मोदी सरकार ने दूसरी ओर 11,431 करोड़ रुपये की राजस्व घाटा ग्रांट की मंजूरी देकर हिमाचल के घाटे की पूर्ति भी कर दी है। इसके अलावा 15वें वित्तायोग की ओर से संसद में रखी गई वित्तीय वर्ष 2020-21 की रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल समेत सभी राज्यों की केंद्रीय कर प्राप्तियों को 42 प्रतिशत से घटाकर 41 प्रतिशत किया जा रहा है। वही इसे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दिया जा सकता है ।
14वें वित्तायोग के तहत हिमाचल को केंद्र से 42 फीसदी कर मिलता था, परन्तु यह अन्य तमाम राज्यों की तरह घटाकर अब 41 फीसदी तय हुआ है।फ़िलहाल, यह अलग बात है कि इसके बावजूद हिमाचल को केंद्र से 6,833 करोड़ रुपये की कर प्राप्ति होगी। बीते वित्तीय वर्ष 2019-20 में 42 प्रतिशत हिस्सेदारी होने के बावजूद यह इससे 33 प्रतिशत कम थी। इसका कारण केंद्र सरकार की कर प्राप्तियों में बढ़ोतरी का होना है। इसी वजह से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को हिमाचल के हिस्से का बजट दिए जाने के बावजूद हिमाचल की डिवीजन पूल से टैक्स प्राप्तियां पिछले साल से ज्यादा रह सकती है ।
केरल के बाद बड़ी राजस्व घाटा ग्रांट पाने वाला हिमाचल दूसरा राज्य, केंद्र से 11,431 करोड़ रुपये की राजस्व घाटा ग्रांट प्राप्त करने वाला हिमाचल केरल के बाद ऐसा दूसरा राज्य है, जिसे बड़ी मदद मिली है। केरल को 15,323 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा अनुदान मिला है। हिमाचल के बाद 7659 करोड़ रुपये की इस ग्रांट को पाने वाला पंजाब तीसरा राज्य है।
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