नई दिल्ली: प्याज के दाम को नियंत्रण में रखने के लिए सरकार की ओर से इस जून से ही किए जा रहे प्रयास नाकाम साबित हो रहे हैं क्योंकि प्याज ने देश के आम उपभोक्ताओं को रुलाना आरंभ कर दिया है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित आजादपुर मंडी में प्याज का थोक भाव 50 रुपये प्रति किलो हो गया है, जो कि 2015 के बाद का सबसे उच्च स्तर है। वहीं, एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी महाराष्ट्र के लासलगांव में भी प्याज 50 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है।
कारोबारियों ने बताया है कि देश में प्याज का स्टॉक बेहद कम है, जिसकी वजह से मंडियों में आवक कम हो रही है। खपत के मुकाबले आवक कम होने से प्याज के दाम बढ़ रहे हैं। आजादपुर मंडी के कारोबारी और ऑनियन मर्चेंट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट राजेंद्र शर्मा ने कहा है कि दक्षिण भारत के प्रदेशों में भारी बारिश के कारण प्याज की फसल खराब होने व नई फसल की तैयारी में विलंब हो जाने की आशंकाओं से प्याज के दामों को और सपोर्ट मिल रहा है। शर्मा ने बताया है कि इससे पहले 2015 में प्याज का दाम 50 रुपये किलो से ऊपर चला गया था।
प्याज के दाम को काबू में रखने के लिए सरकार ने पिछले हफ्ते इसका न्यूनतम निर्यात मूल्य यानी एमईपी 850 डॉलर प्रति टन तय कर दिया, ताकि निर्यात पर बैन से देश के बाजारों में प्याज की सप्लाई में कमी नहीं आए। विदेश व्यापार महानिदेशालय यानी DGFT के 13 सितंबर की अधिसूचना के मुताबिक, प्याज का न्यूनतम निर्यात मूल्य 850 डॉलर प्रति टन (एफओबी) से कम भाव पर निर्यात की अनुमति तब तक नहीं होगी, जब तक इस संबंध में अगला आदेश नहीं आता है।
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