नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा खुफिया एजेंसियों को कंप्यूटरों की निगरानी का अधिकार दिए जाने के फैसले पर सियासी संग्राम शुरू हो गया है. इसे लेकर सभी विपक्षी दलों ने एक साथ मोदी सरकार पर निशाना साधा है. विपक्षी नेताओं ने एक सुर में सरकार के इस फैसले की आलोचना करते हुए इसे तानाशाही बताया है. कांग्रेस से लेकर वामदलों तक सभी इस निर्णय के खिलाफ खड़े हो गए हैं.
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कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा है कि अगर कोई कंप्यूटरों की जासूसी करेगा तो यह ऑरवेलियन स्थिति (एक ऐसी परिस्थिति जिसे जॉर्ज ऑरवेल ने स्वतंत्र समाजद के लिए विनाशकारक बताया था) की तरह होगी. वहीं कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी इसकी कड़ी आलोचना की है. उन्होंने मोदी सरकार के नारे के तर्ज पर ट्वीट करते हुए लिखा 'अबकी बार निजता पर वार, चुनाव हारने के बाद मोदी सरकार अब आपके कंप्यूटर की जासूसी करना चाहती है, यह निंदनीय प्रवृत्ति है.'
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वहीं तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इसे लेकर केंद्र सरकार पर करारा हमला बोला है. उन्होंने इसे खतरनाक बताते हुए मामले पर जनता के विचार मांगे हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि 'मई 2014 से भारत अघोषित आपातकाल के दौर से गुजर रहा है, नागरिकों के कंप्यूटर की जासूसी के फैसले से मोदी सरकार ने सारी हदें पार कर दी हैं, क्या दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में इस तरह अधिकारों हनन होगा.'
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