सावन का महीना शुरू होने वाला है ऐसे में भगवान शिव की ख़ास तरीके से पूजा की जाती है, लेकिन कभी आपने यह जानने की कोशिश कि आखिरी कब कैसे और सबसे पहले शिवलिंग की स्थापना कहा हुई. अगर नहीं तो आज हम आपको बताने जा रहे शिवलिंग से जुडी कुछ ख़ास बातें है जिन्हें आपने अभी तक नहीं सुनी होंगी.
शास्त्रों के अनुसार जब भगवान शिव, शिवलिंग के रुप में स्थापित होने के बाद उस जगह से अंतर्ध्यान हो गए थे तब सबसे पहले ब्रह्मा और विष्णु ने ही उस शिवलिंग की पूजा-अर्चना की थी. बस इसी के बाद से भगवान शिव की लिंग के रूप में पूजा होती है और इसके स्थापना होने के पीछे का रहस्य गहरा बताया जा रहा है.
शास्त्रों के मुताबिक़ बताया गया है कि एक समय भगवान ब्रह्मा और विष्णु के बीच अपनी-अपनी श्रेष्ठता को लेकर झगड़ा होने लगा. यही नहीं बल्कि अपने आप में खुद को श्रेष्ठ बताने के लिए दोनों एक दूसरे का अपमान करने लगे और यह विवाद जब बढ़ता जा रहा था तभी अग्नि की ज्वालाओं से लिपटा हुआ एक विशाल लिंग ब्रह्मा और विष्णु के बीच आकर स्थापित हो गया. इस तरह विशाल लिंग को देखकर ब्रह्मा और विष्णु मंत्रमुग्ध हो गए और आखिर यह लिंग कहा से आया इस बात का पता करने के लिए ब्रह्मा और विष्णु इसकी खोज में जुट गए.
हजारों साल तक इस बात का पता नहीं लगाने पर दोनों ने अपनी-अपनी हर मान ली और देव ओम के स्वर की आराधना करने लगे. जब ब्रह्मा और विष्णु लिंग के पास पंहुचे तो वंहा से ओम का स्वर सुनाई देने लगा जिसके बाद उन्हें अंदाज़ा हुआ कि यह कोई शक्ति है. ब्रह्मा और विष्णु की सच्ची आराधना देखने के बाद भगवान शिव बेहद प्रसन्न हुए और उस विशाल लिंग से स्वयं प्रकट हुए, बस तभी से भगवान शिव की पूजा शिवलिंग के रूप में भी जाती है.
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