नई दिल्ली: दिनों दिन बढ़ती जा रही बाढ़, भूकंप कि परेशानी से आज कल चारों तरफ आपदाएं साइक्लोन समेत न जाने किन किन रूपों में इस साल प्राकृतिक आपदाओं ने पृथ्वी पर कहर बरपाया है. पृथ्वी की प्राकृतिक प्रक्रियाओं का प्रतिकूल प्रभाव प्राकृतिक आपदाओं के रूप में अपना प्रकोप दिखाता है. यह प्रकोप ज्वालामुखी फटने, सुनामी भूकंप, चक्रवाती तूफान, बाढ़, लैंडस्लाइड, वनों में आग लगने जैसी आपदाओं के रूप में आती हैं. दुनिया के सभी देश हर साल किसी न किसी प्राकृतिक आपदा की चपेट में आते हैं. ये प्राकृतिक आपदाएं भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी का फटना, लैंडस्लाइड, साइक्लोन जंगलों में आग लगना, सूखा आदि की शक्ल में आते हैं.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बात का पता चला इस साल बाढ़ के पानी में भारत के अधिकांश राज्य, पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ ईरान और चीन के अधिकांश इलाके समेत इटली के शहर वेनिस की खूबसूरती भी जलमग्न हो गई. बाढ़ ने इस साल खूब तबाही मचाई. इस वर्ष जुलाई माह में पाकिस्तान के विभिन्न इलाकों में भारी बारिश के कारण आए बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया. 1966 के बाद हाइटाइड के कारण आए बाढ़ में वेनिस के 70 फीसद ऐतिहासिक इमारत जलमग्न हो गए और यहां आपातकाल लागू कर दिया गया.
यदि हम बात करें सूत्रों कि तो अमेरिका में छुट्टियों की शुरुआत ही बम साइक्लोन के चपेट में आ गई. थैंक्स गीविंग वीक के पहले दिन ही इतनी बर्फबारी और बारिश हुई कि सड़कों पर मोटी-मोटी बर्फ की परत जम गई. बंगाल की खाड़ी में उठने वाला साइक्लोन बुलबुल हिंद महासागर का सातवां बड़ा साइक्लोन है. इससे पहले महा, फानी, वायु, क्यार जैसे साइक्लोन आए. यहां यह बता दें कि हिंद महासागर में आए साइक्लोन से इसके उत्तर में बसे देश इरान, पाकिस्तान और बांग्लादेश, पूर्व में मलय पेनिनसुला, इंडोनेशिया का सुंडा आइलैंड और पूर्व में ऑस्ट्रेलिया वहीं दक्षिण में अंटार्कटिका और पश्चिम में अफ्रीका और अरब पेनिनसुला है. इसका दक्षिण पश्चिम हिस्सा अटलांटिक महासागर से जुड़ता है. दुनिया के कई देशों में लैंडस्लाइड की घटनाएं घटी. भारत के पहाड़ी इलाकों के साथ-साथ म्यांमार, नेपाल, केन्या जैसे देशों में भी इस साल लैंडस्लाइड की कई घटनाएं घटीं.
जलवायु परिवर्तन पर सम्मेलन COP25: वहीं ऐसा कहा जा रहा है कि जलवायु परिवर्तन से होने वाले खतरों से निपटने के लिए विभिन्न तरीकों पर चर्चा के लिए स्पेन के मैड्रिड में COP25 आयोजित की गई. धरती पर बढ़ते तापमान को लेकर दुनिया के विभिन्न देश चिंतित है. इस सम्मेलन में दुनिया के 196 देश हिस्सा ले रहे हैं. 2 दिसंबर से शुरू होकर 13 दिसंबर तक यह सम्मेलन चलेगा. सम्मेलन का उद्घाटन संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने किया.
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