माँ दुनिया का सबसे पावन शब्द. माँ की हर खूबी को एक शब्द में तराश कर उसे मातृत्व का नाम दिया गया है. माँ का दर्जा भगवान से भी ऊपर है और वो किस लिए है, इस बात का बखान करने में सातों समुद्र के जल की स्याही बनाकर यदि सारी धरती और ब्रह्माण्ड पर भी माँ की महिमा लिखी जाये, तो भी माँ के नाम और महानता को कोई नहीं लिख पायेगा, क्योकि माँ शब्द और उसकी महानता का बखान पूर्ण रूप से न तो अब तक कोई कर सका है और न ही कोई कर सकेगा. धरती पर एक मां ही ऐसी हस्ती है जो पूरी जिंदगी नि:स्वार्थ भाव से अपनी संतान के लिए हर तरह की कुर्बानी देने को हमेशा तैयार रहती है.
बलिदानों और त्याग की मूर्ति माँ के मातृत्व को सलाम करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस मनाया जाता है. ये दिन माँ के प्रति सम्मान जाहिर करने का एक तरीका भी है. राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस को मनाने का मुख्य उदेश्य माँ को उन बेहद नाज़ुक दिनों में सुरक्षा मुहैया कराना या उसकी देखभाल और संसाधनों की पूर्ति करना है, जो बच्चे के लालन पालन के दौरान बेहद जरुरी है. प्रसूति के पहले, दौरान और बाद में एक माँ को जिस तरह की जरूरतें होती है, उन्हें एक माँ तक पहुँचाना और उसे मातृत्व सुख का पूरा पूरा लाभ देना ही राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस की शुरुआत का मूल लक्ष्य है.
बदलते स्वरुप के साथ मातृत्व के तरीके और ढंग जरूर बदल गये है, मगर मातृत्व की तासीर आज भी नहीं बदली है. हम भी ये कोशिश करे की इस मुद्दे को लेकर केवल एक दिन मना कर कर्तव्यों की इति श्री न कर ली जाये, बल्कि इसे एक जिम्मेदारी की तरह निभा कर इसे सार्थक बनाया जाये. ''क्यों की माँ के बिना दुनिया की कल्पना करना नामुमकिन है.''
जानिए राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस का इतिहास
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