भोपालः देश के कई प्रदेशों में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने दस्तक देने के बाद अब मध्य प्रदेश की राजनीति में भी एंट्री कर ली है। AIMIM निकाय चुनाव से मध्य प्रदेश की सियासत में एंट्री करने जा रही है, तत्पश्चात, इस बात पर मंथन आरम्भ हो चुका है कि इससे किसे फायदा होगा तथा किस पार्टी को नुकसान? ओवैसी की मध्य प्रदेश की राजनीति में एंट्री पर बीजेपी एवं कांग्रेस एक दूसरे पर हमला बोल रही हैं।
बता दें कि राज्य में होने जा रहे निकाय चुनाव में AIMIM 7 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। ये ज्यादातर सीटें वो हैं, जहां मुस्लिम वोटबैंक निर्णायक किरदार में है। ओवैसी की राजनीति में एंट्री से प्रदेश के अल्पसंख्यक वोटबैंक का बंटवारा तय माना जा रहा है। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि अल्पसंख्यक वोटबैंक के बंटवारे से किस सियासी पार्टी को नुकसान होता है! साथ ही ओवैसी भी निकाय चुनाव के माध्यम से आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सियासी जमीन तलाशने का प्रयास करते नजर आ रहे हैं। 2023 विधानसभा चुनाव के लिहाज से ओवैसी की मध्य प्रदेश की राजनीति में एंट्री को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
AIMIM ने घोषणा की है कि पार्टी इंदौर, भोपाल, जबलपुर, बुरहानपुर, रतलाम तथा खंडवा, खरगोन में निकाय चुनाव लड़ेगी। हालांकि पार्टी इन शहरों में पार्षद पद के लिए चुनाव लड़ेगी मगर बुरहानपुर में पार्टी मेयर पद के लिए भी अपना उम्मीदवार उतार सकती है। AIMIM की मद्य प्रदेश की राजनीति में एंट्री पर बीजेपी एवं कांग्रेस में जुबानी जंग आरम्भ हो गई है। कांग्रेस ने AIMIM को भाजपा की बी टीम करार दिया है। वहीं बीजेपी ने इल्जाम लगाया है कि कमलनाथ और ओवैसी के बीच डील हुई है। दरअसल कांग्रेस महासचिव रवि सक्सेना से जब इसे लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि निकाय चुनाव में कांग्रेस की तैयारियों से भाजपा डरी हुई है। इसलिए अल्पसंख्यक वर्ग, जो कि कांग्रेस के मतदाता हैं, उन्हें बांटने के लिए मध्य प्रदेश में भाजपा ओवैसी को लेकर आई है।
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