लुधियाना : लुधियाना के एक किसान समपूरण सिंह के नाम हुई स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस और स्टेशन मास्टर का दफ्तर. जी हाँ आपने सही सुना अब शताब्दी एक्सप्रेस पर समपूरण सिंह का सम्पूर्ण हक़ हो गया है यह फरमान लुधियाना की एक जिला अदालत ने सुनाया है.
दरअसल मामला यह है कि लुधियाना-चंडीगढ़ रेलवे लाइन के निर्माण में किसान समपूरण सिंह की जमीन भारतीय रेलवे द्वारा अधिग्रहित कर ली गयी थी और उसे मुआवजा देने की बात कही गयी थी. जब किसान को भारतीय रेलवे द्वारा अधिग्रहित अपने जमीन का मुआवजा नहीं मिला तो मजबूरन उसे कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा. लुधियाना के डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज जसपाल वर्मा की पीठ ने सुनवाई करते हुए 2012 में इस मुकदमे में किसान को 1 करोड़ 47 लाख रूपये का मुआवजा देने का आदेश भारतीय रेलवे को दिया था.
भारतीय रेलवे ने उसे मात्र 42 लाख रुपये दिये। कोर्ट का यह फैसला समय रहते रेलवे पूरा नहीं कर सका और किसान एक बार फिर कोर्ट के दरवाजे जा पहुंचा. किसान की परेशानी को समझते हुए अदालत ने वो फैसला सुनाया जो किसी ने भी नहीं सोचा और न आज तक ऐसा फैसला सुना. सेशन जज जसपाल वर्मा ने ट्रेन संख्या 12030 को किसान के नाम कर दिया और इतना ही नहीं साथ में स्टेशन मास्टर का ऑफिस भी जब्त करने का फरमान सुना दिया.
हालाकि किसान ट्रेन अपने घर ले जा नहीं सकता था इस वजह से फिलहाल ये ट्रेन कोर्ट की संपति है। कोर्ट के इस आदेश के बाद रेलवे के डिवीजनल मैनेजर अनुज प्रकाश ने कहा कि,’इस किसान को मुआवजे में दी जाने वाली रकम को लेकर कुछ विवाद था उसे सुलझाने की कोशिश की जा रही है।’ उन्होंने ये भी कहा कि अदालत के इस आदेश की समीक्षा कानून मंत्रालय कर रहा है।