अापने Oyo Rooms का नाम तो सुना होगा, आज इसी ब्रांड ने बड़े-बड़े अनुभवी बिजनेसमैन और इन्वेस्टर्स को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है. यह सुविधा ट्रैवलर्स को सस्ते दामों पर बेहतरीन सुविधाओं के साथ देश के बड़े शहरों में भी उपलब्ध है. इस कांसेप्ट की शुरुआत 17 साल के एक लड़के ने की थी, जो आज लगभग 6000 करोड़ का मालिक है, और साथ ही साथ इसकी बुकिंग में हर 3 महिने में 30 प्रतिशत की बढ़त हो रही है. हाल ही में Oyo Rooms में जापान के सॉफ्टबैंक ने 250 मिलियन डॉलर का निवेश किया है.
इस कंपनी के फाउंडर रितेश अग्रवाल ने इंजीनियरिंग छोड़ इस कंपनी को बनाया जिससे उन्होंने बिना किसी की मदद के शुरू की और सिर्फ 6 साल में 6000 करोड़ तक पहुंच गई है. रितेश ने बताया की शुरूआती दौर में उन्होंने सिम कार्ड्स तक बेचे हैं और रेंट के पैसे न होने की वजह से उन्हें लकाभी कभी सीढ़ियों पर भी सोना पड़ता था. रितेश ने एक वेबसाइट तैयार की थी जहां वे सस्ते और किफायती होटल्स के बारे में जानकारी अपडेट करते थे जिस वेबसाइट का नाम रखा 'ओरावल'. फिर उन्हें लगा कि लोग वेबसाइट को समझ नहीं पा रहे हैं, इसलिए उन्होंने 2013 में उसका नाम बदल कर OYO Rooms रख दिया.
रितेश का जन्म ओडिशा के बिस्सम कटक गांव में हुआ था. रितेश ने स्कूलिंग के बाद यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन में एडमिशन लिया और वहां भी वे सिर्फ दो दिन ही लंदन यूनिवर्सिटी के दिल्ली कैंपस गए थे. फंडिंग, मार्केटिंग और प्रॉपर्टी के ऑनर्स और इन्वेस्टर्स तक पहुंचने जैसे कामों में उन्हें काफी समस्याएं आईं थीं. ओयो ने सॉफ्टबैंक सहित मौजूदा इन्वेस्टर्स और हीरो एंटरप्राइज से 25 करोड़ डॉलर (1,600 करोड़ रुपए से अधिक) की नई फंडिंग की है.
रितेश को देहरादून और मसूरी के टूर के दौरान इस बिजनेस का आइडिया आया, जहाँ उन्होंने ऑनलाइन सोशल कम्युनिटी बनाने के बारे में सोचा, जिसमे एक ही प्लेटफॉर्म पर प्रॉपर्टी के मालिकों और सर्विस प्रोवाइडर्स की सहायता से पर्यटकों को रूम और फूड उपलब्ध करा सकें. फिर 2011 में रितेश ने ओरावेल की शुरुआत की और आज पूरे भारत में इसके 8,500 होटलों में 70,000 से भी ज्यादा कमरे हैं.
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