नई दिल्लीः केंद्रीय वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम इन दिनों बुरी तरह से फंसे हुए हैं। कभी राजनीति के शीर्ष पर रहे इस दिग्गज नेता का यह हाल होगा किसी ने शायद कल्पना न की होगी। चिदंबरम को देश के प्रभावशाली नेताओं में गिना जाता है। वह आम आदमी के सपनों वाला बजट पेश कर लोकप्रिय हुए थे। वह देश के गृह मंत्री रह चुके हैं। मुक्त कारोबार और स्वच्छंद आर्थिक सुधारों के पैरोकार माने जाने वाले चिदंबरम 1960 के दशक में जब राजनीति में आये तो कट्टर वामपंथी की तरह सरकार नियंत्रित अर्थव्यवस्था के पक्षधर थे।
मद्रास के एक प्रतिष्ठित उद्योगपति परिवार से आने वाले चिदंबरम ने पारिवारिक कारोबार के बजाय राजनीति में कदम रखा और 1967 में उस समय कांग्रेस में शामिल हुए जब यह राज्य में सत्ता से बाहर हो गयी थी। उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए किया। वह 1969 और 1984 में उस समय इंदिरा गांधी के साथ बने रहे जब कांग्रेस में विभाजन हो गया था। राजीव गांधी की सरकार में उन्हें वाणिज्य राज्य मंत्री बनाया गया। प्रधानमंत्री नरसिंह राव की सरकार में भी वह राज्यमंत्री रहे।
तब उनके पास वाणिज्य और उद्योग मंत्रालयों की जिम्मेदारी थी। हालांकि पार्टी के कुछ फैसलों से मतभेद के चलते उन्होंने कांग्रेस छोड़कर 1996 में नया राजनीतिक दल बनाया। हालेंकि फिर वह वापस 2004 में कांग्रेस में शामिल हो गए और देश के वित्त मंत्री बनाए गए। सीबीआई ने सीनियर वकील-राजनेता पलानियप्पन चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया मामले में धनशोधन तथा भ्रष्टाचार के आरोपों में बुधवार रात को गिरफ्तार किया। इसके चलते उन्हें अब अदालतों में लंबी लड़ाई लड़नी पड़ सकती है। बता दें कि चिदंबरम के साथ-साथ उनका बेटा और पत्नी भी जांच के घेरे में हैं।
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