कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने पीएम नरेंद्र मोदी के तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के निर्णय को किसानों और कांग्रेस पार्टी की जीत करार दे डाला और यह दावा भी किया है कि चुनाव की डर से गवर्नमेंट यह फैसला लेने को मजबूर हो गई है. उन्होंने नोटबंदी, भारतीय क्षेत्र में चीनी सैनिकों की घुसपैठ और नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लेकर भी सरकार को घेरने का प्रयास किया.
चिदंबरम ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘अगर अगला चुनाव हारने का डर है, तो पीएम मोदी स्वीकार करेंगे कि नोटबंदी एक बड़ी भूल थी. वो यह भी स्वीकार कर लेंगे कि चीनी सैनिकों ने भारतीय इलाके में घुसपैठ की है और हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया.’ अपनी बात को जारी रखते हुए चिदंबरम ने आगे लिखा, ‘अगर अगला चुनाव हारने का डर है, तो प्रधानमंत्री स्वीकार करेंगे कि नागरिकता संशोधन अधिनियम एक भेदभावपूर्ण कानून है.’
If there is fear of losing the next election, the PM
P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) November 19, 2021
will:
Admit that demonetisation was a Himalayan blunder.
Admit that Chinese troops have intruded into Indian territory and occupied our land.
Admit that the CAA is a patently discriminatory law.
‘चुनाव के डर से लिया गया फैसला’: जिसके पूर्व एक ट्वीट में वरिष्ठ नेता ने बोला है कि ‘लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन से क्या हासिल नहीं किया जा सकता. पीएम की ओर से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान करना नीति में परिवर्तन और हृदय परिवर्तन से प्रेरित नहीं है. यह चुनाव के डर से निर्णय कर लिया.’ उन्होंने बोला है ‘हालांकि, यह किसानों के लिए बड़ी जीत है और कांग्रेस पार्टी के लिए भी जीत है जो इन कानूनों का पुरजोर विरोध करने में लगी हुई है.’
संसद के आगामी सत्र में लाया जाएगा विधेयक: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने भी ट्विटर पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा है कि, ‘पहले संसद में जोर-जबरदस्ती से कानून पारित करवाते हैं. फिर अप्रत्याशित विरोध को झेलते है. फिर यूपी और पंजाब में चुनाव का सामना करते हैं. आखिरकार कानून हटाने का फैसला कर लेते है. आखिर में किसान की जीत हुई. मैं अपने किसानों की दृढ़ता को सलाम करता हूं जिन्होंने हिम्मत नहीं हारी.’ गौरतलब है कि पीएम मोदी ने बीते तकरीबन एक वर्ष से ज्यादा वक़्त से विवादों में घिरे तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने का एलान किया और बोला है कि इसके लिए संसद के आगामी सत्र में विधेयक लाया जाएगा. तीनों कृषि कानूनों के विरोध में किसान बीते वर्ष से आंदोलन कर रहे थे.
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