यह बात तो हम सभी जानते है कि हम सभी नव वर्ष में प्रवेश कर चुके है, इंडिया के गोल्डन बॉय ने साल की शुरुआत 15 जून को राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ते हुए फिनलैंड के पावो नुर्मी खेलों में सिल्वर मेडल जीतकर की, जबकि तीन दिन के उपरांत ही उन्होंने कुओर्ता ने खेलों में गोल्ड मेडल जीतकर एक और तमगा अपने नाम कर लिया। नीरज जिसके उपरांत रजत जीतकर विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पदक हासिल करने वाले पहले पुरुष एथलीट भी बन चुके है, हालांकि इस प्रतियोगिता में लगी चोट ने नीरज को वर्ष के सबसे बड़े आयोजन, राष्ट्रमंडल खेलों से बाहर भी कर चुके है। बर्मिंघम में आयोजित प्रतियोगिता में हिस्सा न लेने की वजह से भले ही नीरज एक संभावित गोल्ड से चूक गये, लेकिन उन्होंने डायमंड लीग लुसाने और डायमंड लीग फाइनल ज़्यूरिख में खिताब जीतकर इसकी कुछ हद तक भरपाई भी कर चुके है।
नीरज के न होने की वजह से राष्ट्रमंडल खेलों की जैवलीन थ्रो प्रतियोगिता में इंडिया का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। इस प्रतियोगिता में भले ही इंडिया ने पदक नहीं जीता, लेकिन देश को जिन खेलों में पदक मिले वहां किसी को अनुमान भी नहीं थी। अगस्त में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों से पहले अधिकतर इंडियन लॉन बॉल्स के बारे में जानते भी नहीं थे, लेकिन देश ने इस खेल में 2 मेडल हासिल किये। भारतीय महिला लॉन बॉल्स टीम ने जहां ऐतिहासिक सोने का तमगा जीता, वहीं पुरुष टीम ने चांदी अपने नाम किया।
जिसके साथ साथ अविनाश साबले ने भी 3000 मीटर स्टीपलचेज़ में इंडिया के लिये पहला रजत पदक जीतकर देश का इस खेल से परिचय करवाया। पहली बार राष्ट्रमंडल खेलों में भाग ले रहे साबले ने रजत हासिल करते हुए न सिर्फ एक नया राष्ट्रीय रिकॉडर् स्थापित किया, बल्कि उन्होंने इस प्रतियोगिता में केन्या का एकछत्र राज भी खत्म कर दिया है।
बीते वर्ष टेनिस में भी भारत में चमका अपना नाम
खेल जगत में यादगार रहा भारत के लिए बीता वर्ष
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