आज हम आपको बताने जा रहे हैं पादहस्तासन करने की विधि के बारे में. ये आपको पाचन में मदद करता है. पचना की सही करना है तो जरूर करें ये आसन जिसके बारे में आपको बताने जा रहे हैं. चलिए आपको बता देते हैं इस आसन के बारे में और किस तरह करना चाहिए.
आसन करने की विधि
सीधे खड़े हों और अपने हाथ अपने शरीर के साइड में रखें. साँस छोड़ते हुए कूल्हे के जोड़ों से झुकें लेकिन ध्यान रहे कि कमर के जोड़ों से नहीं झुकना है. नीचे झुकते समय साँस छोड़ें. याद रहे कि सभी आगे झुकने वाले आसनों की तरह पादहस्तासन में उदेश्य धड़ को लंबा करना होता है. नीचे झुक कर अपने हाथों को पैरों के नीचे दबा लें. उंगलियाँ पूरी तरह से पैरों के नीचे होनी चाहिए. फिर सिर और धड़ उपर करते हुए साँस अंदर लें.
साँस पूरी तरह अंदर लेने के बाद साँस छोड़ते हुए सिर और धड़ को नीचे झुकाएं. जितना मुमकिन हो, उतना धड़ को टाँगों के करीब ले जायें. आसन में रहते हुए श्वास बिल्कुल ना रोकें. जब साँस अंदर लें, तब धड़ को थोड़ा सा उठायें और लंबा करने की कोशिश करें. जब साँस को छोड़ें, तब आगे की तरफ और गहराई से झुकने की कोशिश करें.
कुल मिला कर पाँच बार साँस अंदर लें और बाहर छोड़ें ताकि आप आसन में 30 से 60 सेकेंड तक रह सकें. धीरे धीरे जैसे आपके शरीर में ताक़त और लचीलापन बढ़ने लगे, आप समय बढ़ा सकते हैं 90 सेकेंड से ज़्यादा ना करें. कोशिश करें की आपकी पीठ सीधी रहे. टाँगों को सीधा रखें. अपने सिर को आराम से लटकने दें ताकि आपके गर्दन की मांसपेशियों पर ज़ोर ना पड़े. धड़ को ऊपर लाते समय साँस अंदर लें. ध्यान रहे कि आप अपनी पीठ को सीधा ही रखें और अपने कूल्हे के जोड़ों से ही वापिस उपर आयें.
पादहस्तासन करने के फायदे
- मस्तिष्क को शांत करता है और तनाव व हल्के अवसाद में राहत देने में मदद करता है.
- जिगर और गुर्दों के बेहतर कार्य पद्धति में मदद करता है.
- हैमस्ट्रिंग, पिंडली, और कूल्हों में ज़रूरी खिचाव पैदा करता है.
- जांघों को मज़बूत करता है.
- पाचन में सुधार लाता है.
- रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज़) के लक्षणों को कम करने में मदद करता है.
- थकान और चिंता कम करता है.
शरीर का संतुलन बनाये रखता उत्थित हस्त पादंगुष्ठासन