नई दिल्लीः पाकिस्तान में सेना को सबसे ताकतवर ईकाई के रूप में जाना जाता है। वहां सेना से मजबूत कोई और संस्था नहीं है। कहने को वहां तरह-तरह की संस्थाएं हैं मगर चलती सिर्फ सेना की है। देश के अस्तित्व के 72 साल में लगभग 36 साल वहां सेना का शासन रहा है। अर्थव्यवस्था में पाकिस्तान की सेना की सीधी दखल के बारे में बहुत कम ही सुनने को मिला है मगर हाल की खबरों के अनुसार पाकिस्तान के आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा ने हाल में देश की इकोनॉमी को लेकर शीर्ष कारोबारियों के साथ बैठक की है।
न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक रिपोर्ट के मुताबिक बाजवा ने ये बैठकें पाकिस्तान की आर्थिक राजधानी कराची और रावलपिंडी में भारी सुरक्षा वाले सैन्य कार्यालयों में की। ब्लूमबर्ग ने इस घटनाक्रम से अवगत सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि बैठक के दौरान बाजवा ने कारोबारियों से ये जानना चाहा कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए क्या कदम उठाये जाने चाहिए और उन्हें निवेश के लिए प्रेरित करने वाले कारक कौन-से होंगे। सूत्रों के मुताबिक कुछ बैठकों के बाद तत्काल कदम उठाये गए एवं शीर्ष अधिकारियों को जरूरी ऑर्डर दिये गए। सूत्रों ने बताया कि बाजवा कारोबारी समुदाय में विश्वास बहाली को लेकर चिंतित दिखे। यद्दपि पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता ने इस पर किसी तरह का बयान देने से इंकार कर दिया है।
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