पाक के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी अब ईशनिंदा के आरोपी लेक्चरर को सजा-ए-मौत दिए जाने का समर्थन किया है. एक कार्यक्रम में सार्वजिनक मंच से बोलते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को इस तरह की ही सजा मिलनी चाहिए. आमतौर पर मानवाधिकार की बात करने वाले इमरान खान ऐसे फैसलों का विरोध ही करते हैं मगर अब लेक्चरर को सजा-ए-मौत मिलने के बाद लोगों को उन पर भी अचंभा हो रहा है.
मालूम हो कि पाकिस्तान की एक जिला एवं सत्र अदालत ने मुल्तान की बहाउद्दीन जकारिया यूनिवर्सिटी के एक लेक्चरर को ईश निंदा के आरोप में मौत की सजा सुनाई है. आरोपी का नाम जुनैद हाफिज है जो यूनिवर्सिटी में इंग्लिश लिट्रेचर विभाग में बतौर अतिथि लेक्चरर के तौर पर कार्यरत था. उसे ईश निंदा के आरोप में बीते 23 मार्च 2013 को गिरफ्तार किया गया था.
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पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश काशिफ कयूम ने यह सजा सुनाई. अदालत की ओर से आरोपी जुनैद हाफिज पर पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. यह सजा पाकिस्तान दंड संहिता की धारा- 295-C (Section 295-C) के तहत सुनाई गई है. हाफिज को मुल्तान की न्यू सेंट्रल जेल के उच्च सुरक्षा वाली सेंट्रल जेल में रखा गया है.
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अदालत ने जुनैद हाफिज को कुछ अन्य धारों के तहत उम्रकैद एवं एक लाख रुपये जुर्माने की सजा भी सुनाई है. अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि सभी सजाएं साथ चलेंगी और दोषी को धारा 382-B CrPC का लाभ नहीं मिलेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि ईश निंदा कानून में रहम की इजाजत नहीं है। मौजूदा वक्त में यह मामला सुर्खियों में छा गया है.
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