नई दिल्ली : कहते हैं पुस्तकों से अच्छा कोई दोस्त नहीं होता. वहीं पाठ्य पुस्तकें विद्यार्थियों के ज्ञान बढ़ाने और अच्छे विचारों में सहायक होती है. लेकिन पाकिस्तान की पाठ्य पुस्तकों में भारत के खिलाफ शत्रुता बढ़ाने के लिए नफरत के बीज बोए जा रहे हैं.पाकिस्तान में 10वीं कक्षा में स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली किताब में भारत के प्रति जहर भरा जा रहा है. ऐसे में दोनों देशों के बीच सद्भावना पनपने की उम्मीद नहीं की जा सकती है.
बता दें कि पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में 10वीं कक्षा की सरकार से मान्यता प्राप्त इतिहास की पाठ्य पुस्तकों में फर्जी तथ्यों से बच्चों को यह शिक्षा दी जा रही है कि हिंदू ही 1947 के बंटवारे के लिए जिम्मेदार थे. हिंदुओं ने मुसलमानों को मौत के घाट उतारा. उनकी संपत्ति लूटी और उन्हें भारत से पलायन करने के लिए मजबूर किया. जबकि इसके विपरीत भारत की स्कूलों में इतिहास की किताब में पढ़ाया जाता है कि हिंदुस्तान को महात्मा गांधी के प्रयासों से ही आजादी मिली. वह भारत के एकीकरण के पक्ष में थे, लेकिन मुस्लिम लीग की अलग देश बनाने की जिद से पाकिस्तान का जन्म हुआ.
इस बारे में राजनैतिक विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान में छात्रों को इतिहास को अपने पक्ष में तोड़-मरोड़कर पढ़ाया जा रहा है. इससे लम्बे समय से कट्टर विरोधी रहे भारत और पाकिस्तान के बीच सद्भावना पनपने की उम्मीद बहुत कम है.पाकिस्तान में भावी पीढ़ी के दिलो-दिमाग में शत्रुता भरती जा रही है. स्मरण रहे कि 1947 में देश विभाजन के समय हुई हिंसा में 20 लाख लोग मारे गए थे. उस समय हुई नरसंहार की घटनाओं ने भारत और पाकिस्तान के बीच शत्रुता और कड़वाहट के बीज बो दिए थे. जो अब तक जारी है.
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