इस्लामाबाद: पाकिस्तान की एक अदालत ने 2008 के मुंबई हमला मामले की सुनवाई पर अस्थाई रूप से रोक लगा दी है, ताकि अभियोजन पक्ष और गवाहों को अदालत में पेश कर सके। नवंबर 2008 में कराची से नाव के माध्यम से मुंबई गए आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के दस आतंकियों ने भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में सिलसिलेवार हमले किए थे, जिसमें 166 लोगों की मौत हुई थी और 300 से ज्यादा लोग बुरी तरफ घायल हो गए थे।
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पाकिस्तान की आतंकवाद रोधी एक कोर्ट में लश्कर के सात सदस्यों के विरुद्ध 10 साल से ज्यादा समय से चल रहे मुकदमे में अधिक प्रगति नहीं हुई है, क्योंकि पाकिस्तान उनके विरुद्ध पर्याप्त सबूत ना होने का दावा करता रहा है। इस्लामाबाद हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने मंगलवार को संघीय जांच एजेंसी की उस याचिका पर सुनवाई की है, जिसमें पाकिस्तान की आतंकवाद रोधी अदालत में जारी सुनवाई पर फ़िलहाल रोक लगाने की मांग की थी।
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इस खंडपीठ में जस्टिस आमिर फारूक और जस्टिस मोहसिन अख्तर कियानी शामिल हैं। समाचार पत्र द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर के मुताबिक, अदालत ने सुनवाई पर एक हफ्ते की रोक लगाई है, ताकि अभियोजक पक्ष 19 में से कुछ और गवाहों को गवाही देने के लिए समन जारी कर सकें। सुनवाई के दौरान संघीय जांच एजेंसी के अभियोजक अकरम कुरैशी अदालत के समक्ष प्रस्तुत हुए थे।
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