पाकिस्तान के पास भारत के फैसले पर जवाब देने के विकल्प बिल्कुल सीमित हैं. इसलिए जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को हटाए जाने के बाद पाकिस्तान बौखला गया है. अमेरिका की एक कांग्रेशनल रिपोर्ट US में कहा गया है कि पाकिस्तान के पास सैन्य कार्रवाई का विकल्प नहीं है क्योंकि उसकी क्षमता में भारी गिरावट आई है. ऐसे में वह अब केवल कूटनीति पर ही निर्भर रह सकता है.
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इस मामले को लेकर कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस की रिपोर्ट में कहा गया है कि कई विश्लेषकों का मानना है कि जम्मू-कश्मीर के मसले पर पाकिस्तान के पास कूटनीति का जो विकल्प मौजूद है वह भी इतना आसान नहीं है. इसके पीछे की वजह में बताया गया है कि पाकिस्तान का आतंकी संगठनों को गुपचुप समर्थन देने का इतिहास भी लंबा रहा है जिसे देखते हुए उसकी विश्वसनीयता कम हो गई है.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि जम्मू-कश्मीर के मसले पर CRS की इस दूसरी रिपोर्ट में कहा गया है कि हालिया वर्षों में सैन्य कार्रवाई के जरिए वस्तुस्थित बदलने की पाकिस्तान की क्षमता में भी गिरावट आई है. यानी स्पष्ट है कि जम्मू-कश्मीर के मसले पर अब वह मुख्य रूप से कूटनीति के भरोसे ही रह सकता है. वहीं पांच अगस्त यानी अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद पाकिस्तान कूटनीतिक तौर पर भी अलग-थलग दिखा. यहां तक कि तुर्की को छोड़कर मुस्लिम मुल्कों ने भी उसका समर्थन नहीं किया.
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