पाकिस्तान ने स्वंय को वैश्विक स्तर पर वित्तीय ब्लैक लिस्ट में डाले जाने से बचने के लिए एक नया हथकंडा अपनाया है. पाक ने अफगानिस्तान के तालिबान पर कई वित्तीय पाबंदी लगाए हैं. उसने ऐसे वक्त में तालिबान पर यह पाबंदी लगाए हैं, जब अमेरिका के नेतृत्व में पड़ोसी राष्ट्र में आतंकवादी दल के साथ शांति प्रक्रिया जारी है.
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यह आदेश शुक्रवार की देर रात्रि जारी किया गया. पाबंदी में सम्मिलित लोगों में तालिबान के मुख्य शांति वार्ताकार अब्दुल गनी बारादर और हक्कानी फैमिली के कई सदस्य सम्मिलित हैं. इनमें हक्कानी परिवार का सिराजुद्दीन भी शामिल है जो वर्तमान में हक्कानी नेटवर्क का प्रमुख है और तालिबान का उप प्रमुख है.प्रतिबंधित सूची में तालिबान के अलावा अन्य समूह भी हैं और इसे संयुक्त राष्ट्र की तरफ से अफगान समूहों पर लगाए गए 5 साल के प्रतिबंध और उनकी दौलत जब्त किए जाने की तर्ज पर ही लागू किया गया है.
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बता दे कि नाम नहीं बताने की शर्त पर सुरक्षा अफसरों ने कहा कि पाकिस्तान द्वारा वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) द्वारा पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डाले जाने से बचने के तहत ये आदेश जारी किया है हैं. एफएटीएफ धनशोधन के केस पर नजर रखता है और आतंकवादी समूहों की गतिविधियों की निगरानी करता है. वही, पेरिस के इस संगठन ने पिछले वर्ष इस्लामाबाद को ग्रे सूची में रखा था. अभी तक केवल ईरान और उत्तर कोरिया ही काली सूची में हैं. ब्लैक लिस्ट वाले मुल्कों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न चीजें हासिल करने की क्षमता पर पाबंदी होती है. अफसरों ने कहा कि पाकिस्तान ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है.
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