पाकिस्तान सरकार ने साम्प्रदायिकता और चरमपंथ फ़ैलाने वाले लोगों पर कार्यवाही करने के लिए एक मोबाइल एप्प लांच किया है जिसके जरिये लोग नफ़रत भरे भाषणों की शिकायत कर सकेंगे. यह मोबाइल एप्लीकेशन एंड्राइड और आईओएस आधारित दोनों ही ऑपरेटिंग सिस्टम पर उपलब्ध है. चौकस नाम का यह मोबाइल एप्लीकेशन पाकिस्तान की नेशनल काउंटर टेररिज्म अथॉरिटी यानी एनएसीटीए ने साइबर काउंटर टेररिज्म इनिशिएटिव के तहत लॉन्च किया है. मोबाइल ऐप नागरिकों को बिना अपनी पहचान बताए चरमपंथी भाषणों, बैनरों और इस तरह की गतिविधियों की जानकारी दे सकेगा. ऐप इस्तेमाल करने वाले इसके माध्यम से तस्वीरें, ऑडियो, वीडिया या फिर लिखित संदेश भेज सकेंगे.
एनएसीटीए के प्रवक्ता मुजीबुर रहमान तालपुर ने समाचार एजेंसी डीपीए से कहा, यह कदम समाज में चरमपंथ की प्रवृत्तियों को फैलने से रोकने के लिए उठाया गया है. सरकार ने नफरत वाले भाषणों की परिभाषा बहुत साफ तौर पर नहीं दी है. हालांकि तालपुर ने उदाहरण के लिए बताया कि ऐसी सामग्री, "जो अंतरधार्मिक सद्भाव में बाधा डाला, जो सांप्रदायिकता या चरमपंथी विचारों वाला हो या फि जो किसी धर्म के खिलाफ हो उसे नफरत वाला भाषण माना जाएगा.
पाकिस्तान के डॉन अखबार ने पिछले साल रिपोर्ट दी थी कि देश में प्रतिबंधित 64 चरमपंथी संगठनों में से 41, "किसी शख्स या समूह के यूजर प्रोफाइल के रूप में फेसबुक के सैकड़ों पन्नों में मौजूद थे." तालपुर का कहना है कि जो भी जानकारी या डाटा इसमें हासिल होगा उसकी जांच पुलिस, कानून का पालन कराने वाली और दूसरी नियामक एजेंसियां करेंगी. इससे पहले जनवरी में भी सरकार ने एक ऐप्लिकेशन लॉन्च किया था जिसका नाम है सर्फसेफ. यहां नागरिक किसी भी ऐसी वेबसाइट की रिपोर्ट कर सकते हैं जो चरमपंथी सामग्री छापती हो या फिर जहां नफरत फैलाने वाले भाषण हों. पाकिस्तान में चरमपंथी गतिविधियों को लेकर जब तब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो हल्ला मचता रहता है. बीते महीनों में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने खासतौर पर पाकिस्तान की बड़ी आलोचना की है और करोड़ों डॉलर की अमेरिकी सहायता भी रोक दी है. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप पाकिस्तान पर कई और तरीकों से दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
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