इस्लामाबाद: पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद भारत के कूटनीतिक प्रयासों का प्रभाव दिखने लगा है। पाकिस्तान ने मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफीज सईद के आतंकवादी संगठन जमात-उद-दावा (जेयूडी) पर बैन लगा दिया है। जेयूडी की परोपकारी शाखा फलह-ए-इंसानियत पर भी बैन लगाया गया है। अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे झुकते हुए आतंकी संगठनों पर कार्रवाई के लिए पाकिस्तान ऐसा करने के लिए बाध्य हुआ है। हालांकि, विश्व की आंखों में धूल झोंकने के लिए यह पाकिस्तान की एक चाल भी हो सकती है।
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पाकिस्तान के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता की ओर से जारी किए गए एक बयान में कहा गया है कि पीएम इमरान खान की अध्यक्षता में हुई राष्ट्रीय सुरक्षा कमेटी (एनएससी) की मीटिंग में जेयूडी और उसके सहयोगी संगठन पर बैन लगाने का फैसला लिया गया है। इन दोनों संगठनों पर पहले से ही निगाह रखी जा रही थी। खान के कार्यालय में हुई मीटिंग में सेना अध्यक्ष और कई मंत्री भी उपस्थित थे। बयान के अनुसार बैठक में प्रतिबंधित संगठनों के विरुद्ध कार्रवाई तेज करने का भी निर्णय लिया गया है।
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अधिकारियों के अनुसार, जेयूडी करीब तीन सौ मदरसे और स्कूल, अस्पताल और प्रकाशन घर चलाता है। उसके दोनों संगठनों में लगभग 50 हजार से अधिक वालंटियर और सैकड़ों कर्मचारी हैं। दरअसल, जेयूडी आतंकवादी संगठन लश्कर ए तैयबा (एलईटी) जैसा ही एक संगठन है। अमेरिका द्वारा बैन किए जाने के बाद भी अपनी गतिविधियों को जारी रखने के लिए लश्कर ने जेयूडी का गठन किया था। एलईटी के आतंकवादियों ने ही 26 नवंबर, 2008 को भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में हमला किया था, जिसमें कई विदेशियों सहित 166 लोग मारे गए थे। इसके बाद अमेरिका ने जून, 2014 में लश्कर को आतंकी संगठन घोषित कर दिया था।
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