मास्को: रूस-यूक्रे संघर्ष को शुरू हुए आज सात माह हो रहे हैं। इसके बाद भी न तो रूस हार मानने को तैयार है और ना ही यूक्रेन झुकने के लिए राजी दिख रहा है। दोनों ही देशों के पारंपरिक हथियार तक़रीबन खत्म होने को हैं। किन्तु इसके बावजूद मित्र देशों से मिल रही सैन्य सहायता के बूते रूस और यूक्रेन युद्ध को जारी रखे हुए हैं। कुछ दिन पहले एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि यूक्रेन को NATO देशों के अलावा पाकिस्तान ने भी हथियार भेजे हैं। पाकिस्तानी फ़ौज के कई मालवाहक विमानों को यूक्रेन के पड़ोसी मुल्क रोमानिया में लैंड करते हुए देखा गया है। अब इन्हीं दावों पर रूस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। रूस ने कहा है कि यदि इन दावों में जरा भी सच्चाई है, तो इसका रूस-पाकिस्तान संबंधों पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा।
दरअसल, यूक्रेन वेपन्स ट्रैकर नाम के एक ट्विटर अकाउंट ने दावा किया था कि पाकिस्तान ने यूक्रेन को हथियार भेजे हैं। यूक्रेन में पाकिस्तानी हथियारों की कई तस्वीरें भी सामने आई थी। इनमें पाकिस्तानी आर्डिनेंस फैक्ट्री में बने 122 एमएम के HE आर्टिलरी गोले दिखाई दिए थे। दावा किया गया है कि पाकिस्तान अपने हथियारों को सीधे यूक्रेन को न भेजकर रोमानिया के माध्यम से ट्रांसपोर्ट कर रहा है। बताया गया है कि यूक्रेन को हथियार सप्लाई करने की डील पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बावजा के ब्रिटेन दौरे के वक़्त हुई थी। रोमानिया के जिस हवाई अड्डे पर पाकिस्तानी जहाज उतरे थे, वह ब्रिटेन के नियंत्रण में ही है।
अब भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलिपोव ने कहा कि यदि इस प्रकार के हथियार कहीं भेजे गए हैं, तो इसका रूस और पाकिस्तान के संबंधों पर काफी बड़ा असर होगा। उन्होंने कहा कि अभी तक सभी अपुष्ट रिपोर्ट हैं। मुझे सही जानकारी पता नहीं है। यदि इसकी पुष्टि होती है तो इस बात में कोई संदेह नहीं है कि इससे पाकिस्तान और हमारे रिश्तों पर सीधा असर होगा। इसे पाकिस्तान की तरफ से सीधे-सीधे रूस की चेतावनी माना जा रहा है। यदि पाकिस्तानी हथियार के दावे में कोई वास्तविकता नहीं होती, तो रूस के बड़े स्तर के राजनयिक कभी भी बयान नहीं देते।
बता दें कि पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान ने रूस से करीबी बढ़ाने के लिए काफी कोशिश की थी। उन्होंने अमेरिका और पश्चिमी देशों की परवाह न करते हुए रूस का दौरान भी किया था। इस दौरान पाकिस्तान को रूस से सस्ते गेहूं और गैस के एक्सपोर्ट को लेकर सहमति भी बन गई थी। हालांकि, इमरान ने आरोप लगाते हुए कहा था कि उनके इसी दौरे की वजह से अमेरिका ने साजिश रच उन्हें पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की कुर्सी से हटा दिया था। वहीं, नए-नए पीएम बने शहबाज शरीफ ने प्रधानमंत्री बनने के छह महीनों के भीतर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात कर इमरान खान के जले पर नमक छिड़क दिया, जो अपने तीन वर्षों के कार्यकाल के दौरान मिलना तो दूर, फोन पर भी बात नहीं कर सके थे।
Ind Vs Aus: निर्णायक मुकाबला आज, ऋषभ पंत को बाहर बैठा सकते हैं कप्तान रोहित !
बेटी के बिना अधूरा है घर, संसार और परिवार, जानिए क्या है इस दिन का इतिहास