नई दिल्ली: ISRO का चंद्रयान-2 चांद के दरवाजे पर खड़ा है। 6 और 7 सितंबर की दरम्यानी रात 1।30 से 2।30 बजे के मध्य चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा। इसी के साथ भारत विश्व का पहला ऐसा देश बन जाएगा जो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अपना यान उतारेगा। अंतरिक्ष विज्ञान के मामले में भारत विश्व के सबसे अग्रणी देशों में शुमार है और दक्षिण एशिया में नंबर एक है। हालांकि, पाकिस्तान ने भारत से भी पहले अपनी स्पेस एजेंसी बनाई थी, किन्तु आज उसका कोई नाम तक नहीं जानता।
दक्षिण एशिया में आठ मुल्क हैं। भारत, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, भूटान और मालदीव। अंतरिक्ष विज्ञान के मामले में पाकिस्तान ही थोड़ी बहुत कोशिश कर पा रहा है। वह भी न के बराबर। भारत तो पाकिस्तान से इतना आगे निकल चुका है कि पाकिस्तान को भारत के बराबरी पहुंचने में कई दशक लग जाएंगे। पड़ोसी देश चीन टक्कर देता है, किन्तु इस समय भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो अंतरिक्ष विज्ञान के मामले में अभी दुनिया का सबसे विश्वसनीय संगठन है।
पाकिस्तान ने 16 सितंबर 1961 में अंतरिक्ष के क्षेत्र में स्पेस एंड अपर एटमॉसफेयर रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (SUPARCO) बनाया था। वह भी भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के आधिकारिक गठन से लगभग आठ वर्ष पूर्व। लेकिन आज वो किसी दौड़ में ही नहीं है। इसरो की स्थापना 1969 में की गई थी। उससे पहले भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी का नाम इंडियन नेशनल कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च था और आज वही इसरो कामयाबी की नई इबारत लिखने जा रहा है।
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