इस्लमाबाद: हमारे देश के दार्शनिक और ज्ञानीजन हमेशा से कहते आए हैं कि, अगर अपने दुश्मन से भी कुछ अच्छा सीखने को मिलता है तो सीख लेना चाहिए. शायद इसीलिए भगवान राम ने भी रावण का वध करने के पश्चात्, उसके पैरों के पास खड़े होकर राजधर्म का ज्ञान लिया था. ऐसा ही एक किस्सा है हमारे चिर प्रतिद्वंदी देश पाकिस्तान का, जिससे भारत को भी सीख लेने की आवश्यकता है.
घटना यह है कि,पाकिस्तानी अदालत ने 17 फरवरी को बलात्कार और हत्या के आरोप में इमरान अली को फांसी की सजा सुना दी. आपको बता दें कि पिछले महीने पांच जनवरी को लाहौर के नजदीक छह साल की जैनब घर के पास से गुम हो गई थी. बाद में उसकी लाश कूड़े के ढेर पर मिली. जैनब का अपहरण करने के बाद उसके साथ बलात्कार किया गया और फिर उसे मार दिया गया. इस हादसे ने पूरे पाकिस्तान को ऐसा हिला दिया था जैसे निर्भया कांड ने पूरे हिंदुस्तान को हिलाया था.
पाकिस्तानी पुलिस ने इमरान अली के खिलाफ एटीसी जज सज्जाद हुसैन की अदालत में 13 फरवरी को चार्जशीट दाखिल की थी. इसके बाद पाकिस्तानी अदालत ने ज़ैनब के परिवार सहित 56 लोगों का बयान लेकर मात्र 4 दिनों में आरोपी को फांसी की सजा सुना दी. पाकिस्तान में सबसे तेज़ फांसी के फैसले का ये रिकॉर्ड है. पाकिस्तानी अदालत के इस फैसले की चहुंओर तारीफ़ हो रही है. वहीं एक और भारत है, जहां छह साल बाद भी हमें पता नहीं कि, निर्भया के गुनहगारों को फांसी कब होगी?
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