संयुक्त राष्ट्र की वार्षिक साधाराण सभा में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने जिस तरह से जम्मू - कश्मीर में एनकाउंटर में मारे गए आतंकी कमांडर बुरहान वानी की तरफदारी की और उसे शहीद बताया। उससे साफ हो गया कि पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थक देश है। दूसरी ओर भारत द्वारा कई हमलों को लेकर अमेरिका को सबूत दिए गए जिसके माध्यम से यह सिद्ध होता है कि आतंकी पाकिस्तान की धरती पर रहते हुए भारत विरोधी और मानवता विरोधी कदम उठाते हैं।
इन सभी तथ्यों के बाद भारत का पक्ष मजबूत हो गया है और अब वह पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समर्थन जुटाने की ओर अग्रसर हो रहा है। हालांकि भारत पाकिस्तान पर सीधी सैन्य कार्रवाई करने से बच रहा है। ऐसा करने से कई तरह की बातें मुश्किलें बनकर सामने आ सकती हैं लेकिन यदि भारत अपना पक्ष रखते हुए पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित करने में सफल रहा तो यह उसके लिए बड़ी उपलब्धि होगी।
ऐसे में पाकिस्तान को अपनी धरती पर चलने वाले आतंकी प्रशिक्षण शिविरों ध्वस्त करना होगा। या फिर पाकिस्तान के हालात भी भविष्य में सीरिया की तरह हो जाऐंगे जहां अमेरिकी और अन्य देशों की वायुसेनाओं ने बमवर्षा की थी। पाकिस्तान को अफगानिस्तान में पांव पसारने और अपने यहां अपना प्रभुत्व जमाने का प्रयास करने वाले हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ भी कार्रवाई करनी होगी।
यदि पाकिस्तान भारत के खिलाफ चलाए जाने वाले आतंकवाद और हक्कानी नेटवर्क को ध्वस्त नहीं करता है तो निकट भविष्य में उसे कई अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों से गुजरना पड़ सकता है और हो सकता है कि उसके खिलाफ सैन्य कार्यवाई भी की जाए। ऐसे में वहां के नागरिक और पाकिस्तान का विकास पहले से और भी बदहाल स्थिति में होंगे। गौरतलब है कि पाकिस्तान बलूचिस्तान के लोगों के विद्रोह का सामना पहले से ही कर रहा है। ऐसे में संभावना है कि पाकिस्तान कई खंडों में बंट जाएगा। जिसमें कुछ खंड आतंकियों के और कुछ पाकिस्तानी अवाम के हाथ आ जाऐंगे।
'लव गडकरी'