सेना के एक जवान की हत्या के बाद हमारी सरकार द्वारा पाकिस्तानी पीएम के आमंत्रण को स्वीकार करने का असर ये हुआ कि पाक प्रयोजित आतंकवादियों ने तीन और जवानों की हत्या कर दी। हमारे देश की सरकार पाकिस्तान के साथ लगातार बेहतर संबंधों के लिए बातचीत करने को तरजीह देती है और पाकिस्तानी आतंकी उसकी इस सहृदयता का बदला हमारे जवानों की हत्या कर देते हैं।
अब जब तीन और जवान शहीद हो गए, तो सरकार को समझ में आया कि पाकिस्तान से अब बात नहीं करनी चाहिए और उसने विदेश मंत्री स्तर की वार्ता को रद्द करने का फैसला ले लिया। लेकिन सवाल यह है कि अब आगे क्या? क्या बात न करने से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई भारत में आतंकवाद को रोक देगी? क्या आतंकी अब किसी और जवान को अपनी बर्बरता का शिकार नहीं बनाएंगे? क्या बात न करना ही इस समस्या का हल है? यह कुछ ऐसे यक्ष प्रश्न है, जिनका जवाब ढूंढा जाना चाहिए। इस समय देश में जो माहौल है, जिस तरह से खूबसूरत घाटी में आतंकी देश के रक्षकों के साथ बर्बरता कर रहे हैं, उसका तुरंत हल निकालने की जरूरत है। अब केवल पाकिस्तान को चेतावनी देने से काम नहीं चलने वाला है, बल्कि पाकिस्तान पर कार्रवाई करने से ही इस समस्या का हल निकाला जा सकता है।
29 सितंबर 2016 में जिस तरह भारत ने पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक कर कई आतंकी शिविरों को नष्ट कर दिया था। इस वक्त देश को वैसी ही सर्जिकल स्ट्राइक की जरूरत है। अब हमारी सरकार को पाकिस्तान से कोई भी बात करने या उसे चेतावनी देने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह साफ है कि केवल चेतावनी या कड़े रुख से पाकिस्तान अपने नापाक मंसूबों को बंद करने वाला नहीं है। इसलिए सरकार को चाहिए कि अब वह शांति और वार्ता की स्थिति से बाहर निकले और सीधे पाक पर कड़ी कार्रवाई करे, तभी पाकिस्तान को सबक मिलेगा अन्यथा यूं ही हम चेतावनी देते रहेंगे और सीमा पर हमारे सैनिकों के साथ पाक बर्बरता करता रहेगा।
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