नई दिल्ली: तीन बार मैदानी जंग में हार का मुंह देखने के बाद भी पाकिस्तान की अक्ल ठिकाने नहीं आई है. पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई प्रायोजित आतंकवाद के साथ-साथ अब छद्म युद्ध के तहत ऐप के द्वारा साइबर वार कर भारतीय सैनिकों की जानकारी हासिल करने की कोशिश कर रही है|
आइएसआई जासूसी के लिए हाई टेक तरीके इस्तेमाल कर रही है. स्मार्ट फोन और ऐप के दौर में आइएसआई सैनिकों को अपने जाल में फंसाने के लिए मोबाइल ऐप का सहारा ले रही है. इस बात का खुलासा सरकार ने किया है|
आइएसआई मोबाइल ऐप के जरिए भारतीय सैनिकों के मोबाइल में वाइरस भेजती है. ये ऐप जैसे ही मोबाइल में डाउनलोड होता है उसके बाद फोन में मौजूद जानकारी ख़ुफ़िया एजेंसी के पास पहुँच जाती है. आइएसआई सैनिकों के बारे में पता लगाती है. वो गिफ्ट और पैसे का ललच देकर पहले छोटी-छोटी जानकारी हासिल करती है. बाद में बड़े काम के लिए मोटी रकम देने से लेकर लडकियाँ तक सप्लाई करती है|
जानकारों के अनुसार यह एक प्रकार का साइबर वार है, जो आइएसआई भारत के खिलाफ लम्बे समय से लड रही है. गेमिंग ऐप टाप गन, म्यूजिक ऐप एमपी जंकी, वीडियो ऐप वीडी जंकी और टाकिंग फ्राग एंटरटेंमेंट ऐप इन चारों के माध्यम से सैनिकों को फंसाने का खतरनाक खेल खेलती है आईएएस. हालाँकि सरकार और देश की ख़ुफ़िया एजेंसियों की इन पर पहले से नजर थी इसलिए सावधानी के तहत फिलहाल गूगल प्ले स्टोर से इन सारे ऐप को हटा लिया गया है|
सरकार ने लोक सभा में जानकारी दी कि 2013 से 2016 के दौरान 7 सैनिकों को हिरासत में लिया गया था, जो आईएसआई के झांसे में आकर जानकारी मुहैया करा रहे थे|