वाशिंगटन: अमेरिका ने चीन और पाक के बीच बनने वाले आर्थिक गलियारे की आलोचना करने के साथ ही इस मुद्दे पर दोनों ही देशों को बड़ा झटका दिया है. जंहा अमेरिका ने अपने बयान में कहा है कि इस पूरी परियोजना में कोई पारदर्शिता नहीं दिखाई है. यह बयान अमेरिका की वरिष्ठ राजनयिक एलिस वेल्स ने दिया है. इस बयान का अपना राजनीतिक महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि पाक के पीएम इमरान खान ने एक दिन पहले ही दावोस में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से मुलाकात की है. इस मुलाकात के केंद्र में मुख्य तौर पर दो बिंदु थे, पहला एफएटीएफ की लटकती तलवार से निजात और दूसरा कश्मीर पर अमेरिका का साथ.
कॉरिडोर पर ट्रंप भी जता चुके हैं नाराजगी: वहीं यह भी पता चला है कि अमेरिका की तरफ से इस परियोजना को लेकर पहली बार कोई सवाल खड़ा किया जा रहा हो. इससे पहले खुद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस परियोजना के भारतीय क्षेत्र से निकलने और भारत की मंशा को न जानने पर सवाल खड़ा किया था. ट्रंप का कहना था कि भारत की इजाजत के बगैर उनके इलाके से परियोजना का निर्माण अवैध है. आपको बता दें कि दोनों देशों के बीच निर्माणाधीन आर्थिक कॉरिडोर वर्तमान में भारत के लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश से होकर जा रहा है. गिलगिट बाल्टिस्तान इसी प्रदेश का हिस्सा है. आपको यहां पर ये भी बता दें कि पाकिस्तान इसके एक हिस्से को चीन को सौंप चुका है.
दुनिया जानती है चीन की मंशा: जंहा इस बात कि जानकारी मिली है कि वेल्स ने अपने बयान में यहां तक कहा है कि इस परियोजना से पाकिस्तान पर कर्ज का बोझ बढ़ जाएगा. हालांकि देखा जाए तो उन्होंने अपने बयान में इस परियोजना के बाबत नया कुछ नहीं कहा है. पूरी दुनिया जानती है कि इस आर्थिक कॉरिडोर के पीछे चीन की मंशा अपने व्यापार का फैलाव और भारत पर नजर रखना है. वहीं ग्वादर पोर्ट को भी इसी मकसद से चीन ने अपने हिसाब से काफी कुछ नया रूप दिया है. वहीं पाकिस्तान पर कर्ज के बोझ की बात की जाए तो आपको बता दें कि वह अपने एक कर्ज को चुकाने के लिए चीन से दूसरा कर्ज भी ले चुका है.
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